Saturday, October 18

युद्ध जैसे हालात को झेलने के लिए कितने तैयार हम, हमारा सिविल डिफेंस सिस्टम कितना मजबूत

पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनजर देश के लोगों को अपनी और अपने जानमाल की सुरक्षा (Civil Defence System) की चिंता होना स्वाभाविक है। खासकर भारत और पाकिस्तान से लगती हुई सीमाओं के 100, 200, 300… किलोमीटर के क्षेत्र में रहने वाले लोगों के चिंताओं के केंद्र में अपनी सुरक्षा की चिंता विशेष तौर पर हो रही है।(Operation Sindoor) के शुरू होने के बाद राजस्थान, गुजरात पंजाब और हरियाणा राज्य में पाकिस्तान बॉर्डर से 600-700 किलोमीटर तक की दूरी पर रहने वाले लोगों के परिजन एक-दूसरे से हालचाल पूछने लगे। ऐसे में देश की जनता और सरकारों की चिंताओं के केंद्र में आमजन की सुरक्षा प्रमुखता पाने लगी। इस तरह के संघर्षों में मजबूत आश्रय स्थलों का निर्माण, समय से युद्ध क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित निकालने का सिस्टम भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। जानते हैं कि इसको लेकर संभावित युद्ध क्षेत्रों में क्या-क्या तैयारी हुई है।

नागरिकों की सुरक्षा के बन चुके हजारों बंकर

Bunker in India: गृह मंत्रालय के अनुसार, अप्रेल 2023 तक सरकार ने जम्मू संभाग में कुल 9,905 बंकरों के निर्माण की योजना बनाई थी, जिसकी अनुमानित लागत 369.18 करोड़ रुपए थी। इनमें से 8,558 बंकरों का निर्माण पूरा हो चुका है, जबकि 1,347 बंकरों का काम चल रहा है। वहीं कश्मीर संभाग में 244 बंकरों के निर्माण की योजना बनाई गई थी, जिसकी अनुमानित लागत 24.40 करोड़ रुपए है। इनमें से 236 बंकरों का निर्माण पूर्ण हो चुका है और 8 बंकरों का कार्य जारी है। जून 2021 में जम्मू संभागीय आयुक्त कार्यालय से जारी रिपोर्ट के अनुसार, राजौरी जिले में सबसे अधिक 2,664 बंकर पूरे किए गए हैं, उसके बाद सांबा (1,595), कठुआ (1,527) और पुंछ (953) का स्थान है।

परमाणु हमले की हालत से बचाव की नहीं है खास तैयारी

Nuclear Attack: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के दिशानिर्देशों के अनुसार, देश के प्रमुख महानगरों में जहाँ जनसंख्या घनत्व काफी अधिक है – परमाणु या फॉलआउट शेल्टर जैसी सुविधाओं की गंभीर कमी है। मेट्रो सुरंगों को अनौपचारिक रूप से अस्थायी शरण स्थलों के रूप में देखा जरूर जाता है लेकिन इन्हें औपचारिक रूप से आपातकालीन योजनाओं में शामिल नहीं किया गया है।

सिविल डिफेंस अभ्यास क्यों जरूरी?

7 मई 2025 को देशव्यापी ‘ऑपरेशन अभ्यास’ नामक सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित की गई थी, जिसका उद्देश्य शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में आपातकालीन प्रोटोकॉल की जांच करना था। इससे लोगों में जागरूकता आती है। इसके दूरगामी परिणाम होते हैं।

भोजन और पानी की क्या रहेगी व्यवस्था

एनडीएमए आपदा के समय में खाद्य सामग्री, स्वच्छ पानी और आवश्यक आपातकालीन किट का भंडारण करने पर जोर देता है। भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में वर्तमान में 4,26,35,376 मीट्रिक टन खाद्यान्न संग्रहित है। ये भंडार आपदाओं के समय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हैं और कोविड-19 महामारी के दौरान भी इनका उपयोग किया गया था।

चंडीगढ़: सामुदायिक केंद्र बनेंगे आपात आश्रय

चंडीगढ़ नगर निगम ने सामुदायिक केंद्रों को आपातकालीन आश्रय स्थलों में बदलने का ऐलान किया। ये केंद्र बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित होंगे ताकि संकट में नागरिकों को सुरक्षित ठिकाना मिले। महापौर हरप्रीत कौर बब्बला की अध्यक्षता में हुई आपात बैठक में यह फैसला लिया गया। शहर की सुरक्षा तैयारियों का जायजा भी लिया गया। निगम ने एकीकृत कमांड सेंटर से 24*7 आपातकालीन नियंत्रण कक्ष शुरू करने का निर्णय लिया। बिजली न होने की स्थिति में टैंकरों से पानी की आपूर्ति होगी। ब्लैकआउट प्रोटोकॉल के तहत सायरन व लाइट बंद करने की भी तैयारी हुई है।

दुनिया में क्या हैं हालात?

स्विट्जरलैंड

कुल बंकर- 3,70,000 से अधिक
आबादी कवरेज: 100% से अधिक (लगभग 114%)
विशेषता: प्रत्येक निवासी के लिए बंकर सुनिश्चित करना कानूनी रूप से अनिवार्य है। बंकरों में वेंटिलेशन, पानी, बिजली और चिकित्सा सुविधाएं होती हैं।

फिनलैंड

कुल बंकर: लगभग 45,000

आबादी कवरेज: लगभग 65%

विशेषता: हेलसिंकी जैसे शहरों में भूमिगत बंकरों का नेटवर्क है जो युद्ध या आपातकाल के समय नागरिकों को आश्रय मिलता है।

स्वीडन

कुल बंकर: लगभग 65,000

विशेषता: प्रत्येक काउंटी में कम से कम एक बड़ा भूमिगत बंकर है जो कई छोटे बंकरों को नियंत्रित करता है।