Monday, September 22

कुंड सहेजने गए, निकल आई 12वीं सदी की प्राचीन मूर्तियां

जल-गंगा संवर्धन अभियान के तहत जलस्रोतों को सहेजने की कवायद के बीच 11वीं-12वीं सदी की मूर्तियां मिलीं। महू से 20 किमी दूर रायकुंड गांव में मिली महिषासुर मर्दिनी, गौरी कामदा, अंधकासुर वध और त्रिपुरांतक मूर्तियों का पुरातत्व विभाग के दल ने परीक्षण किया है। महू-मंडलेश्वर मार्ग पर प्राचीन कुएं के पास 25 बाय 25 वर्गमीटर और कुंड के बीच 8 बाय 4 वर्गमीटर की संरचना मिली है। संभवत: यह कोई शक्ति मंदिर है। विभाग मंदिर को संरक्षित करेगा।

जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत राजभवन के जनजातीय प्रकोष्ठ की विषय विशेषज्ञ दीपमाला रावत ने स्थान चयन करने के लिए महू एसडीएम कार्यालय में बैठक की थी। इसमें रायकुंडा गांव के कुंड का चयन किया गया। राजभवन के दल ने निरीक्षण किया तो यहां मूर्तियां मिलीं। ग्रामीणों ने कहा, गांव में कोई भी शुभ कार्य यहीं से शुरू होता है। फिर दीपमाला ने पुरातत्व विभाग को चिट्ठी लिखकर मंदिर व मूर्तियों का परीक्षण कर जानकारी देने को कहा।

12वीं ईस्वी की मूर्तियां, पुरातत्व विभाग की जांच में खुलासा। और मौजूद खंडों के आधार पर शक्ति मंदिर होने की संभावना पर अब होगा काम।भी पुरावशेष होने की संभावना तलाशेगा पुरातत्व विभाग।