Saturday, October 18

मोदी के प्रधानमंत्री बनने के 11 सालों में पहली बार मोहन भागवत पहुंचे 7 लोक कल्याण मार्ग, था ये खास एजेंडा

 मंगलवार को एक अभूतपूर्व और महत्वपूर्ण घटनाक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आधिकारिक आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात की। यह मुलाकात करीब एक घंटे तक चली और इसे बेहद असामान्य माना जा रहा है, क्योंकि आरएसएस प्रमुख शायद ही कभी राजनीतिक नेताओं से उनके आवास पर मिलने जाते हैं। संघ के सूत्रों ने पुष्टि की कि 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह पहली ऐसी मुलाकात थी।

यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है, जब हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में निहत्थे नागरिकों और पर्यटकों को निशाना बनाया गया, जिसके बाद देशभर में गुस्सा और आक्रोश फैल गया। मुलाकात से जुड़े सूत्रों के अनुसार, मोहन भागवत ने इस हमले को लेकर संघ परिवार की गहरी चिंता और हिंदू समुदाय में बढ़ते गुस्से व असुरक्षा की भावना को प्रधानमंत्री के सामने रखा। उन्होंने आतंकी हमले से निपटने के लिए सरकार और प्रधानमंत्री के प्रयासों को संघ का पूर्ण समर्थन देने की बात भी कही।

एक वरिष्ठ आरएसएस कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “जमीन पर माहौल बहुत तनावपूर्ण है। हिंदू समुदाय दुखी और गुस्से में है। संघ का मानना है कि इस समय सरकार के साथ खड़ा होना जरूरी है, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जनता की भावनाओं को समझा जाए और उसे जिम्मेदारी के साथ संभाला जाए। यह एक आपातकालीन स्थिति है, और इसलिए भागवत जी ने स्वयं प्रधानमंत्री से मुलाकात की।”

मोहन भागवत की यह मुलाकात न केवल प्रतीकात्मक रूप से, बल्कि रणनीतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है। संघ परिवार, अपने विशाल जमीनी नेटवर्क और वैचारिक प्रभाव के साथ, जनमत को आकार देने और सरकार की आवश्यकता के अनुसार समर्थन या संयम को जुटाने की क्षमता रखता है। यह मुलाकात उस संदेश को और स्पष्ट करती है कि संघ इस संवेदनशील समय में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।

दूसरी ओर, सरकार भी इस ताकत को समझती है और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए अपने अगले कदमों पर सावधानी से विचार कर रही है। पहलगाम हमले के बाद देश में उबल रही भावनाओं और सीमा पार से बढ़ते खतरे के बीच यह मुलाकात एक मजबूत संदेश देती है कि भारत एकजुट होकर इस संकट का सामना करने को तैयार है।

जैसे ही यह खबर दिल्ली के गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक फैली, राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है कि क्या यह मुलाकात केवल एक संकट के समय की एकता का प्रतीक है, या आने वाले दिनों में इससे बड़े रणनीतिक बदलाव देखने को मिलेंगे।