Saturday, October 18

मोबाइल चलाते हैं तो हो जाएं सावधान, तेजी से बढ़ रहे ‘टेक्स्ट नेक सिंड्रोम’ के मामले; चपेट में युवा

बीकानेर। मोबाइल और कंप्यूटर के अत्यधिक उपयोग से ‘टेक्स्ट नेक सिंड्रोम’ के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। 14 से 24 वर्ष की उम्र के किशोर और युवा इस समस्या के सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। पीबीएम अस्पताल से जुड़े चुन्नीलाल सोमानी राजकीय ट्रोमा सेंटर के प्रभारी एवं अस्थि रोग विभागाध्यक्ष डॉ. बीएल खजोटिया के अनुसार, 2023 में जहां 125 मरीज सामने आए थे,

वहीं इस साल के ढाई महीने में ही 340 मामले दर्ज हो चुके हैं। इनमें से 209 मरीज 14 से 24 वर्ष के युवा और किशोर हैं। तेजी से बढ़ रहे हैं मामले ट्रोमा सेंटर के सीएमओ डॉ. एलके कपिल के मुताबिक, हर हफ्ते 5 से 7 नए मामले ओपीडी में दर्ज हो रहे हैं। गर्दन और ऊपरी पीठ दर्द के मामले पिछले साल की तुलना में 15-20 फीसदी तक बढ़ गए हैं। फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. हेमंत व्यास के अनुसार, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। फिजियोथेरेपिस्ट विनय गर्ग का कहना है कि सही पोश्चर और नियमित ब्रेक इस समस्या से बचा सकते हैं।

केस 1: 12 वर्षीय छात्र पवन (बदला हुआ नाम) को टेक्स्ट नेक सिंड्रोम हो गया। कारण- मोबाइल और लैपटॉप पर लंबे समय तक झुकी हुई मुद्रा में बैठना।केस 2: यूपीएससी की तैयारी कर रहे रौचक सैनी को मायोफेशियल सिंड्रोम हुआ, जिसके कारण वह दो साल तक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी नहीं कर सके।

  • गर्दन और कंधे में दर्द।
  • सिरदर्द और गर्दन में अकड़, बाहों में झुनझुनी या सुन्नता।
  • आमजन को सुझाव
  • मोबाइल को आंखों के स्तर पर रखें।
  • हर 20-30 मिनट में ब्रेक लेकर गर्दन और कंधे को स्ट्रेच करें।
  • बैठने की सही मुद्रा अपनाएं और डिवाइस का उपयोग सीमित करें।
  • चिकित्सक या फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह अवश्य लें।