Monday, September 22

Cancer Surgery विभाग में पहली बार पाइपेक विधि से पेट की झिल्ली के कैंसर का किया सफल उपचार

नित नए वैज्ञानिक शोध, परीक्षण और निष्कर्ष पर आधारित आधुनिक चिकित्सा प्रणाली की मदद से कई गंभीर बीमारियों से ठीक हो रहे हैं। डॉक्टरों की उपचार प्रक्रिया और मरीज की सकारात्मक सोच की बदौलत कैंसर जैसे असाध्य रोग भी अब साध्य हो चले हैं। इसी क्रम में हाल ही में छत्तीसगढ़  की राजधानी रायपुर के डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के आंकोसर्जरी (Oncosurgery, कैंसर सर्जरी) विभाग के डॉक्टरों की टीम ने पेट की झिल्ली (पेरिटोनियम) के कैंसर से पीड़ित महिला का उपचार पाइपेक (PIPAC) पद्धति से कर उसके जीवन को बचाने में अहम भूमिका निभाई है। पाइपेक एक लेप्रोस्कोपिक (Laparoscopic) प्रक्रिया है। इसका मतलब है कि डॉक्टर मरीज के पेट में एक या दो छोटे छेद करके इस प्रक्रिया को पूरी करते हैं, जिन्हें एक्सेस पोर्ट (Access Port) भी कहा जाता है। पाइपेक यानी प्रेशराइज्ड इंट्रापेरिटोनियलएरोसोलाइज़्ड कीमोथैरेपी, कैंसर बीमारी में दी जाने वाली कीमोथैरेपी का ही एक प्रकार है। यह उदर गुहा में दबाव के साथ कीमोथैरेपी को पहुंचाती है, जिससे कैंसर कोशिकाओं को फैलने से रोकने में मदद मिलती है। कैंसर सर्जन डॉ. (प्रो.) आशुतोष गुप्ता के नेतृत्व में लेप्रोस्कोपिक विधि से न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया के अंतर्गत की गई इस उपचार विधि में कीमोथैरेपी को एक मशीन के जरिये एरोसोल के रूप में दिया जाता है।