Monday, September 22

सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा विज्ञापनों को लेकर कई राज्यों को फटकार लगाईं है तो वहीं प्रतिनियुक्ति पर आए हुए कर्मचारी को केंद्र से पेंशन का हक नहीं होने का फैसला भी सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कड़ी चेतावनी दी कि वह कानून के विपरीत भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों और दावों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगा। जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने एलोपैथिक दवाओं को लक्षित करने वाले भ्रामक दावों और विज्ञापनों के संबंध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, अगर किसी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश द्वारा पहले के आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो हमें अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत कार्यवाही शुरू करनी पड़ सकती है। नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार के विभाग में प्रतिनियुक्ति के आधार पर राज्य सरकार के कर्मचारी द्वारा की गई सेवा उसे केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के तहत पेंशन का अधिकार नहीं देगी। सीजेआइ संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए केंद्र सरकार की अपील मंजूर कर ली।

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को देशभर के न्यायालय परिसरों और न्यायाधिकरणों में महिलाओं, दिव्यांग व्यक्तियों, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए शौचालय सुविधाओं के निर्माण के दिशा-निर्देश जारी किए। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने एक रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह कदम उठाया। दिशा-निर्देश के मुताबिक राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश न्यायालय परिसर के भीतर शौचालय सुविधाओं के निर्माण, रख-रखाव और सफाई के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित करेंगे। इसकी समय-समय पर उच्च न्यायालयों की समिति समीक्षा करेगी। सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और उच्च न्यायालयों को इस बारे में चार महीने में स्टेटस रिपोर्ट देनी होगी।