
144 साल बाद दुर्लभ संयोग में पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी के साथ महाकुंभ का शुभारंभ हो गया है। सुबह 10 बजे तक करीब 60 लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगा ली है। यह आंकड़ा 1 करोड़ तक पहुंच सकता है। इस अमृतमयी महाकुंभ में दुनियाभर से 45 करोड़ श्रद्धालुओं, संतों व कल्पवासियों के डुबकी लगाने का अनुमान है। दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन और सनातन का सबसे बड़ा समागम 26 फरवरी तक होगा। इसके लिए सभी अखाड़े महाकुंभ नगर में प्रवेश कर चुके हैं। श्रद्धालु 12.5 किमी में फैले घाट पर स्नान कर सकेंगे। स्नान के लिए संगम क्षेत्रमें 12 किलोमीटर लंबा घाट तैयार किया गया है। स्नानार्थियों के कपड़े बदलने के लिए घाटों के किनारे 18 हजार चेजिंग रूम बनाए गए हैं। 1.25 लाख शौचालय की व्यवस्था भी की गई है। मेला अधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि पहले स्नान की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। महाकुम्भ के दौरान कुल छह स्नान होंगे, इनमें से तीन अमृत (शाही) स्नान होंगे। अखाड़े अमृत स्नान करते हैं। पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति पर 14 जनवरी, दूसरा मौनी अमावस्या पर 29 जनवरी और तीसरा वसंत पंचमी पर तीन फरवरी को होगा।
इस बार महाकुंभ बेहद खास है। महाकुंभ में 144 साल के बाद समुद्र मंथन के संयोग बन रहे हैं। शनि की कुंभ राशि एवं शुक्र तथा बृहस्पति के राशि परिवर्तन की स्थिति का यह संयोग 144 सालों के बाद बन रहा है। सूर्य, चंद्र और शनि तीनों ग्रह शनि की राशि मकर एवं कुंभ में गोचर कर रहे हैं। यह संयोग देवासुर संग्राम के समय निर्मित हुआ था। असुर गुरु शुक्र उच्च राशि में होकर बृहस्पति की राशि में तथा बृहस्पति शुक्र की राशि में हैं।