
जिले में संचालित निजी स्कूलों द्वारा बसों का संचालन किया जा रहा है। उनके द्वारा बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से घर छोड़ा जा रहा है। उनकी सुरक्षा के लिए स्कूल वाहनों में सीसीटीवी कैमरे और महिला कर्मचारी रखने के निर्देश थे। जिसको लेकर निजी स्कूल संचालकों की बैठक आयोजित की गई थी। लेकिन जिम्मेदारों द्वारा निर्देशों का पालन नहीं किया गया है।
कक्षा एक से १२ वीं तक निजी स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। निजी स्कूलों में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रही है। उन्हें स्कूल बस, वैन, कार, ऑटो के साथ अन्य वाहनों से घर से स्कूल और स्कूल से घर छोड़ा जा रहा है, लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए किसी भी स्कूल वाहन में महिला कर्मचारी नहीं है। जबकि कलेक्टर ने टीएल बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिए थे
एक भी बसों में नहीं मिला महिला कर्मचारी
मंगलवार और बुधवार को टीम ने जिला अस्पताल चौराहा पर सुबह ७:४५ बजे से सुबह ९ बजे तक और दोपहर १२:३० बजे से १:१५ बजे तक स्कूली बसों के साथ स्कूल से संबंधित अन्य वाहनों का जायजा लिया। सभी वाहनों में छात्र-छात्राएं बैठी थी। उनकी सुरक्षा के लिए वाहन के दरवाजा पर पुरुष कर्मचारी ही था। एक भी स्कूल वाहन में महिला कर्मचारी नहीं मिला।
कलेक्टर के निर्देशों का नहीं हो रहा पालन
देश के साथ प्रदेश में विभिन्न प्रकार के अपराध देखने और सुनने को मिल रहे है। उनकी सुरक्षा को लेकर केंद्र, प्रदेश और जिला प्रशासन द्वारा कड़े नियम बनाए जा रहे है। नियमों के तहत कलेक्टर द्वारा टीएल बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी को छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के लिए निर्देश दिए जा रहे है।