Monday, September 22

आकाश वशिष्ठ ने अपने पीआईएल में यह बताया है कि किस तरह नदियों के तटीय इलाके में अवैध निर्माण में इजाफा हुए हैं और इसके दुष्प्रभावों के रूप में बाढ़, जलभराव की समस्या, अचानक भारी बारिश, बादल फटने, ग्लैशियर पिघलने जैसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट देशभर में नदियों के तटीय और जलभराव वाले क्षेत्रों पर अवैध निर्माणों के खिलाफ दायर जनहित याचिका  पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को नोटिस जारी कर संबंधित पक्षों से तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। इनमें केंद्रीय वन एवं पर्यावरण, जलशक्ति, जलवायु परिवर्तन, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शामिल हैं।

पीआईएल के अनुसार, देशभर में नदियों, सहायक नदियों, नहरों और इनके जलभराव वाले क्षेत्रों पर अवैध निर्माण विभिन्न इलाकों में आने वाली बाढ़ और अन्य विभीषिकाओं को बड़ा कारण है। दो साल पहले हिमाचल प्रदेश में आई बाढ़ का उदाहरण देते हुए पीआईएल में बताया गया कि इसकी बड़ी वजह अवैध निर्माण ही है।