Monday, September 22

केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद गांवों के सुनियोजित विकास के लिए शुरू हुई सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) अलग से बजट के अभाव में सांसदों की रुचि पर निर्भर हो गई है।

केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद गांवों के सुनियोजित विकास के लिए शुरू हुई सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) अलग से बजट के अभाव में सांसदों की रुचि पर निर्भर हो गई है। जहां सांसद ने रुचि ली वहां गांवों की तस्वीर बदली है लेकिन जहां माननीय ने मुंह फेरा वहां ग्राम विकास का प्लान कागजों तक ही सिमटता दिख रहा है। हालांकि केंद्र सरकार इस योजना से आदर्श गांवों का चेहरा बदलने का दावा करती है लेकिन ‘पत्रिका’ ने चार राज्यों के एक-एक संसदीय क्षेत्र में इस योजना पर अमल का ग्राउंड पर रियलिटी चैक किया तो मिली-जुली तस्वीर सामने आई। गांवों में सड़क, सामुदायिक केंद्र, स्कूल भवन जैसे काम हुए हैं वहीं बड़े बजट के काम होने में दिक्कत आई है। निजी बातचीत में सांसद कहते हैं कि अलग से बजट मिलने पर यह योजना ज्यादा प्रभावी हो सकती है। नई लोकसभा गठित हुए चार माह से अधिक होने के बावजूद इस बार एसएजीवाइ के तहत सांसदों के गांव गोद लेने पर फिलहाल कोई चर्चा नहीं है।
वर्ष 2014 में शुरू हुई इस योजना के तहत 2016 तक एक, 2019 तक दो तथा 2024 तक हर संसदीय क्षेत्र में पांच गांवों का विकास किया जाना था। शुरुआती दौर में सांसदों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। दूसरे कार्यकाल में अधिकतर सांसदों ने औपचारिकता के लिए संबंधित जिला प्रशासन को गोद लेने वाले गांवों की सूची देकर इतिश्री कर ली।