Tuesday, September 23

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने चार प्रमुख अंतरिक्ष मिशनों को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके तहत भारत चंद्रयान-4, शुक्र मिशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और एनजीएलवी परियोजनाओं को लांच करेगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अगले दो दशक के वैज्ञानिक कार्यक्रमों की रूपरेखा तय हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने चार प्रमुख अंतरिक्ष मिशनों को मंजूरी प्रदान कर दी है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। वहीं, देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के बजट को दोगुना कर दिया है। जिन चार मिशनों को मंजूरी दी गई है उनमें चंद्रयान-4, शुक्र आर्बिटर मिशन (वीओएम), भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस-1) और पुन: उपयोग में लाए जाने वाले अगली पीढ़ी के प्रक्षेपणयान (एनजीएलवी) शामिल हैं।

चंद्रयान-4 मिशन का मकसद चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने के बाद वहां से नमूने लेकर वापस पृथ्वी पर आना है। इसके लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी का विकास, प्रदर्शन और चंद्रमा से लाए गए नमूने का विश्लेषण करना भी शामिल है। यह मिशन वर्ष 2040 में चंद्रमा पर मानव मिशन भेजने का आधार तैयार करेगा और मूलभूत प्रौद्योगिकी क्षमताओं को विकसित करेगा। केंद्र सरकार ने मिशन के लिए 36 महीने की समय-सीमा तय करते हुए 2104 करोड़ रुपए मंजूर किया है। इस दौरान अंतरिक्ष में डॉकिंग, अनडॉकिंग, चंद्रमा पर लैंडिंग, चंद्रमा पर नमूने संग्रह करना, चंद्रमा की सतह से पुन: उड़ान भरकर उसकी निचली कक्षा में पहुंचना और पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी समेत कई चुनौतियों को पार करना होगा।

केंद्र सरकार ने शुक्र आर्बिटर मिशन (वीओएम) को भी मंजूरी दे दी है। चंद्रमा और मंगल पर मिशन भेज चुका इसरो अब धरती के निकटतम ग्रह पर अपना पहला मिशन भेजेगा। इसके लिए सरकार ने 1236 करोड़ रुपए आवंटित किया है। योजना के मुताबिक यह मिशन मार्च 2028 तक लाॅन्च किया जाएगा। माना जाता है कि शुक्र ग्रह का निर्माण पृथ्वी जैसी ही परिस्थितियों में हुआ है। इसलिए वैज्ञानिक यह समझने की कोशिश करेंगे कि ग्रहों का वातावरण कैसे अलग तरीके से विकसित हो सकता है। यह मिशन शुक्र की कक्षा में परिक्रमा कर उसके सतह, उप सतह, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी देगा।