Monday, September 22

आरटीआई कानून के तहत एक आवेदन के जवाब में बताया गया कि 2019 तक नौ साल तक चली आधिकारिक जांच में फर्जी जाति प्रमाण पत्र से सरकारी नौकरियां हासिल करने की 1,084 शिकायतें सामने आईं।

पूजा खेडकर मामले को लेकर फर्जी जाति प्रमाण पत्रों पर उठे सवालों के बीच नया खुलासा हुआ है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत एक आवेदन के जवाब में बताया गया कि 2019 तक नौ साल तक चली आधिकारिक जांच में फर्जी जाति प्रमाण पत्र से सरकारी नौकरियां हासिल करने की 1,084 शिकायतें सामने आईं। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के रिकॉर्ड के मुताबिक इन मामलों में 92 कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त किया गया।

पूजा खेडकर कथित तौर पर सिविल सेवाओं में सीट सुरक्षित करने के लिए फर्जी जाति और विकलांगता प्रमाण पत्र पेश करने को लेकर कटघरे में है। एक अंग्रेजी अखबार के आवेदन के जवाब में सरकार के अधीन 93 मंत्रालयों और विभागों में से 59 के फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के रिकॉर्ड उपलब्ध कराए गए। इनके मुताबिक रेलवे ने सबसे ज्यादा 349 ऐसी शिकायतें दर्ज की थीं।
डाक विभाग ने 259, जहाजरानी मंत्रालय ने 202 और खाद्य-सार्वजनिक वितरण विभाग ने 138 शिकायतें दर्ज कीं। डीओपीटी के सूत्रों के मुताबिक इनमें से कई मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। डीओपीटी ने 2010 में एससी/एसटी के कल्याण पर तत्कालीन भाजपा सांसद रतिलाल कालिदास वर्मा की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की सिफारिश के बाद ऐसी शिकायतों का डेटा एकत्र करना शुरू किया था।