Monday, September 22

बांग्लादेश जातीय हिंदू मोहजोत (बीजेएचएम) ने अपनी सात सूत्री मांगों की सूची भी सामने रखी है।

बांग्लादेश के 23 धार्मिक संगठनों के एक राष्ट्रीय मंच, बांग्लादेश जातीय हिंदू मोहजोत (BJHM) ने मंगलवार को कहा कि 5 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद से देश के 48 जिलों में 278 हिंदू परिवारों को बड़े पैमाने पर हिंसा और बर्बरता का सामना करना पड़ा है। 5 से 12 अगस्त के बीच देश के हिंदू समुदाय के खिलाफ हुई हिंसा की भयावह घटनाओं पर विस्तृत आंकड़ा जारी करते हुए बीजेएचएम नेताओं ने कहा कि कई पीढ़ियों से इस क्षेत्र में रहने के बावजूद वे डर के माहौल में जी रहे हैं।

सात सूत्री मांगों की सूची भी सामने रखी

बांग्लादेश जातीय हिंदू मोहजोत (बीजेएचएम) ने अपनी सात सूत्री मांगों की सूची भी सामने रखी है, जिसमें बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार से अनिश्चितता के समय में तेजी से कार्य करने का आग्रह किया गया। मंच के प्रवक्ता और कार्यकारी सचिव पलाश कांति डे ने मंगलवार को ढाका में नेशनल प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ढाका ट्रिब्यून के हवाले से कहा, बदलते राजनीतिक परिदृश्य के कारण हिंदू समुदाय पर बर्बरता, लूटपाट, आगजनी, जमीन पर कब्जा करने और देश छोड़ने की धमकी देने की घटनाएं बार-बार हो रही हैं। यह सिर्फ व्यक्तियों पर हमला नहीं है, बल्कि हिंदू धर्म पर हमला है।

सात मांगों में क्या-क्या

पलाश कांति डे ने कहा कि समुदाय के नेताओं ने अंतरिम सरकार के गृह मामलों के सलाहकार ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) एम सखावत हुसैन को अपनी चिंताओं से अवगत कराया है, जिन्होंने आश्वासन दिया है कि इस मुद्दे को अगली कैबिनेट बैठक में उठाया जाएगा। गठबंधन द्वारा किए गए सात मांगों में देश भर में हिंदू समुदाय पर “सबसे बदतर सांप्रदायिक हमलों” की गहन न्यायिक जांच कराना भी शामिल है। इसके साथ ही अल्पसंख्यक संरक्षण अधिनियम और आयोग का निर्माण, सार्वजनिक खर्च पर हिंदू समुदाय के क्षतिग्रस्त मंदिरों और घरों की मरम्मत, त्वरित सुनवाई कर दोषियों को सजा दिलाने के साथ ही पूरी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करना, 2000 से आज तक देश में अल्पसंख्यक उत्पीड़न पर एक विस्तृत रिपोर्ट, आगामी दुर्गा पूजा के दौरान तीन दिन की छुट्टी और एक अल्पसंख्यक मंत्रालय की स्थापना मुख्य है।