मालदीव और भारत के रिश्ते सुधरने की एक आखिरी आस भी मिटकी दिखाई दे रही है। दरअसल मालदीव के चुनाव में भारत विरोधी मोहम्मद मुइज्जू (Mohammad Muizzu) की ही जीत हुई है। उनकी पार्टी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (PNC) ने ही दोबारा मालदीव की संसद में बहुमत हासिल कर लिया है। मालदीव की स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मुइज्जू की पार्टी ने बीते रविवार को हुए संसदीय चुनावों में 60 सीटें जीत ली हैं। इस संसदीय चुनाव में 200,000 से ज्यादा लोगों ने मतदान किया, जिसमें 6 नई सीटों सहित अगली संसदीय विधानसभा की 93 सीटों के लिए 326 उम्मीदवार मैदान में थे।
ये उम्मीदवार थे चुनाव में प्रत्याशी
मालदीव (Maldives) की सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवारों ने 90 सीटों पर चुनाव लड़ा था। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के 89 उम्मीदवार भी शामिल थे। डेमोक्रेट के 39 उम्मीदवार, जम्हूरी पार्टी (JP) से 10 उम्मीदवार, मालदीव डेवलपमेंट एलायंस (MDA) के 4 उम्मीदवार, अधलथ पार्टी (AP) से 4, मालदीव नेशनल पार्टी (MNP) से 2, और 130 स्वतंत्र उम्मीदवार इस चुनाव में शामिल हुए थे।
मुइज्जू के ही पक्ष में शुरूआती रुझान
मालदीव चुनाव परिणाम के शुरुआती रुझानों में वर्तमान राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की PNC ने 60 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की जो कुल सीटों का लगभग दो-तिहाई है। इसमें पार्टी के समर्थन से चुनाव लड़ने वाले स्वतंत्र उम्मीदवार और MNP और MDA के उम्मीदवार शामिल नहीं हैं। MNP और MDA सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ सहयोगी दो पार्टियां हैं।
बीते साल भी जीते थे मुइज्जू, भारत की आलोचना की
बता दें कि साल 2019 में हुए चुनाव में तत्कालीन सत्तारूढ़ मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) ने 64 सीटों के साथ सर्वोच्च बहुमत हासिल किया था। जबकि तत्कालीन विपक्षी पीपीएम-पीएनसी गठबंधन ने सिर्फ 8 सीटों पर जीत हासिल की थी। गौरतलब है कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के पदभार संभालने के बाद से भारत और मालदीव के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान और उसके बाद भी भारत की आलोचना की और उनकी सरकार ने औपचारिक रूप से भारत से माले से अपनी सेना वापस बुलाने का अनुरोध भी किया।
इसके बाद मार्च में राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत से लोन में राहत देने की अपील की थी। तब स्थानीय मीडिया ने बताया कि भारत मालदीव का सबसे करीबी सहयोगी बना रहेगा। दावा तो ये भी किया गया था कि उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की है और न ही कोई बयान दिया है जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आ सकता हो।
भारत-मालदीव विवाद
इस साल एक बड़ा विवाद तब पैदा हुआ (India-Maldives Conflict) जब मालदीव के कुछ नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कीं और उनकी लक्षद्वीप यात्रा का मजाक उड़ाया। इस बात से दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध खराब हो गए। भारत ने इस मामले को मालदीव के समक्ष जोरदार तरीके से उठाया और मालदीव के शीर्ष विपक्षी नेताओं ने भी इस विवाद पर मुइज्जू प्रशासन की आलोचना की। दूसरी तरफ भारत के खिलाफ मालदीव ने आपत्तिजनक टिप्पणी तक कर दी थी जो भारत को जरा भी बर्दाश्त नहीं हुआ। इसे लेकर आम लोगों समेत तमाम बड़े-बड़े सेलिब्रिटी तक के बायकॉट मालदीव (#boycottmaldives) का जो अभियान चलाया। उसने बड़ा रूप लेते हुए मालदीव के पर्यटन को ही ठप कर दिया।