मध्यप्रदेश की कुल आबादी में अनुसूचित जनजाति लगभग 22 प्रतिशत है। इसे देखते हुए लोकसभा की छह सीटें अजजा के लिए आरक्षित हैं, लेकिन हकीकत यह है कि 29 में से 10 सीटों पर आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। इन सीटों के तहत आने वाले जिलों में आदिवासी आबादी 27 से 87 प्रतिशत तक है। खास यह भी है कि आदिवासी मतदाता मतदान के लिए लगी लाइनों से भी नहीं घबराते।
पीएम मोदी और राहुल ने आदिवासी बाहुल्य जगहों से की प्रचार की शुरुआत
भाजपा-कांग्रेस के नेता जनजातीय कल्याण के कार्य गिना रहे हैं। विरोधी पार्टी पर आदिवासियों की उपेक्षा का आरोप भी लगा रहे हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी ने रविवार को जबलपुर में रोड शो किया। मंगलवार को आदिवासी बहुल बालाघाट में सभा की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन के अधिकार से वंचित रखा। भाजपा ने पेसा कानून लागू किया, जिसका लाभ आज देश के एक करोड़ से ज्यादा आदिवासी ले रहे हैं। सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंडला और शहडोल क्षेत्र में सभाएं कीं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आपको आदिवासी कहती है, लेकिन भाजपा और संघ वनवासी, यह विचारधारा का असर है। उन्होंने 50 प्रतिशत से ज्यादा आदिवासी आबादी वाले जिलों में छठी अनुसूची लागू कर वहां की व्यवस्था उन्हीं के हाथों में सौंपने का वादा भी किया।
विस चुनाव: कांटे की टक्कर
विधानसभा चुनाव 2023 में एसटी की 47 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस में कांटे की टक्कर रही। भाजपा ने 25 जीतीं तो कांग्रेस ने 21 सीटें। महज सैलाना सीट आदिवासी विकास पार्टी ने कांग्रेस से छीन ली। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 30, भाजपा ने 16 और एक सीट निर्दलीय ने जीती थी। हालांकि लोकसभा चुनाव २०१९ में कांग्रेस महज छिंदवाड़ा सीट बचा पाई। बाकी 28 सीटें भाजपा ने जीती थीं।