इंदौर। ट्रैफिक की समस्या हल करने के लिए इंदौर में भी विदेशों की तर्ज पर केबल कार चलाई जाएगी। आइडीए ने इसकी संभावनाओं के लिए कंसल्टेंट नियुक्त करने का फैसला किया है। कंसल्टेंट सर्वे कर बताएगा कि केबल कार कहां-कहां चलाई जा सकती है। इस योजना पर बुधवार को हुई इंदौर विकास प्राधिकरण (आइडीए) की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव रखा गया। बैठक में 320 करोड़ के विकास कार्यों को मंजूरी दी गई, जिसमें बड़ा गणपति, मरीमाता चौराहा और महू नाका के ओवर ब्रिज को लेकर राशि स्वीकृत की गई।
आइडीए अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा ने बताया कि मध्य क्षेत्र में एरियल केबल कार की संभावनाओं को लेकर कंसल्टेंट सर्वे कर रिपोर्ट देंगे कि किन मार्गों पर केबल कार चलाना उचित होगा, कितनी यूटिलिटी रहेगी और फाइनेंशियल वाइब्लिटी क्या रहेगी। बाद में तय होगा कि उसका काम बीओटी, पीपीपी या केपेक्स मॉडल पर कराया जाए। वर्तमान में काशी में केबल कार को लेकर काम चल रहा है। बैठक में कलेक्टर आशीष सिंह, निगमायुक्त हर्षिका सिंह, आइडीए सीईओ रामप्रकाश अहिरवार, वनमंडल अधिकारी महेंद्र सिंह सोलंकी, टीएंडसीपी संयुक्त संचालक शुभाशीष बेनर्जी सहित कई विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
महू नाका चौराहे पर भी ओवर ब्रिज
शहर का ट्रैफिक सुचारू करने के लिए प्रमुख चौराहों पर ओवर ब्रिज बनाए जा रहे हैं। जिले में करीब एक दर्जन ओवर ब्रिज पर काम चल रहा है या शुरू होने वाला है। इस श्रृंखला में आइडीए अब 44 करोड़ में मरीमाता चौराहा, 38.50 करोड़ में बड़ा गणपति चौराहा और 81.30 करोड़ में महू नाका चौराहा पर ओवर ब्रिज बनाने जा रहा है। बोर्ड बैठक में इसकी स्वीकृति दी गई। इसके अलावा रिंग रोड राजीव गांधी सर्कल से सब्जी मंडी चौराहे के बीच एक और फ्लाई ओवर बनाने के लिए कदम बढ़ा दिए हैं। संभावनाओं के लिए सर्वे करने का फैसला किया गया।
इन्हें भी मिली मंजूरी
– आइएसबीटी की लागत पूर्व में 54 करोड़ थी। बाद में जमीन बढ़ गई और उसका विस्तार किया गया। इससे लागत 100 करोड़ के पार हो गई है। शेष राशि के लिए मंजूरी दी गई।
– अंतरराष्ट्रीय स्वीमिंग पूल की लागत भी बढ़कर अब 31.702 करोड़ रुपए हो रही है, क्योंकि कुछ काम छूट गए थे। जिम जैसी सुविधाएं भी बढ़ाई जाएंगी।
– बाणेश्वरी धाम के जीर्णोद्धार के लिए 12 से 15 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई। यह खेलकूद, सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र रहेगा।
नियम शिथिल करने पर हुई बात
चावड़ा ने योजना-78 अरण्य के प्लॉटों में नियमों को शिथिल करने की बात रखी, ताकि प्लाॅटों का नामांतरण हो सके। इसके अलावा कलेक्टर से कहा है कि वे आइडीए को दी सरकारी जमीनों की सरकारी दस्तावेजों में लीज दर्ज कर दें, ताकि फ्री होल्ड करने में आसानी हो। बताते हैं कि जो संपत्तियां फ्री होल्ड नहीं हो सकीं, वह अधिकांश सरकारी जमीन पर ही हैं।