Tuesday, September 23

बचकर आए जवानों ने बोले- हमने भी 20 नक्सली मारे सुनाई मुठभेड़ की कहानी

naxal-attack-44_142898944 copyरायपुर. छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पिडमेल में नक्सली हमले में घायल जवानों ने शनिवार को हुई मुठभेड़ की पूरी कहानी सुनाई है। हमले में किसी तरह बच कर निकले एसटीएफ जवानों का कहना था कि उस दिन गुप्त सूचना मिलने के बाद हम आर-पार की लड़ाई के लिए गए थे। हमले के बाद लौटते वक्त हमने करीब 20 नक्सलियों को भी ढेर किया था। बता दें कि शनिवार को पिडमेल में नक्सली हमला हुआ था, जिसमें 7 एसटीएफ जवान शहीद हो गए थे।

मुठभेड़ की कहानी सुन कर खड़े हो गए बड़े अफसरों के रोंगटे
हमले में किसी तरह बच निकले जवानों ने कहा कि शनिवार को घटना स्थल पर फायरिंग के वक्त इधर (एसटीएफ की ओर) 49 जवान थे और उधर 400 से 500 नक्सली। जवान सड़कों पर और नक्सली पहाड़ों की ओट में छिपकर वार कर रहे थे। मुठभेड़ की कहानी सुनकर पुलिस और सीआरपीएफ के बड़े अफसरों के भी रोंगटे खड़े हो गए। राज्य के डीजीपी एएन उपाध्याय, एडीजी आरके विज, संजय पिल्ले और सीआरपीएफ के स्पेशल डीजी दुर्गा प्रसाद सोमवार को उन जवानों से मिलने गए, जो शनिवार को हुई मुठभेड़ में शामिल थे।
दोगुनी गोली लेकर मुठभेड़ को लेकर गए थे जवान
जवानों ने बताया कि शनिवार को उन्हें सूचना मिली थी कि 25-26 नक्सली जंगल में मौजूद हैं। इसके बाद 49 जवान वहां हथियारों से लैस होकर पहुंचे। जवानों ने बताया कि आमतौर पर वे 100 से 125 गोलियां साथ में रखते हैं। पर उस दिन सबने अपने साथ दोगुनी संख्या में गोलियां रख ली थी। जवान आर-पार की लड़ाई के मूड से गए थे। जहां की सूचना थी, वहां कोई नक्सली नहीं मिला। जवानों ने बताया कि वे लौट रहे थे। करीब 20 किलोमीटर बाद थोड़ी देर के लिए रुके थे, उसी समय एक को काले कपड़ों में नक्सली आते दिखे। उसने थोड़ा ऊपर चढ़कर देखने का प्रयास किया। जैसे ही वह ऊपर चढ़ा, एक गोली उसे आकर लगी। उसने कहा- मुझे तो गोली लग गई है। फिर दोनों ओर से फायरिंग होने लगी। हमारे दो जवान शहीद हो गए। हमने उनके हथियार उठा लिए। फिर करीब दो घंटे तक लड़ाई चलती रही। हमें ऐसा लगा कि अब यहां से थोड़ा मोर्चा बदलना चाहिए। हमने वहां से मूव किया तो उनकी फायरिंग तेज हो गई। लगभग दो से ढाई किलोमीटर के रास्ते में उनके तीन एंबुश मिले। तीनों एंबुश को भेदने में हम सफल रहे। पर इस लड़ाई में हम अपने कमांडर समेत सात साथियों को खो चुके थे।
हम लोगों ने अपनी आंखों से नक्सलियों को भी ढेर होते देखा है। गिने तो नहीं, पर 18 से 20 नक्सलियों को हमने मारा है। हमें मालूम था कि नक्सली हमारे हथियार ले जाते हैं। इसलिए हमने अपने शहीद साथी का हथियार वहां नहीं छोड़ा, सब उठा लाए। गोलीबारी में तहस-नहस हुआ सिर्फ एक हथियार वहां छोड़ दिया। नक्सली हमारा पीछा करते हुए काफी दूर तक आए। कांकेरलंका के नाले तक नक्सली हम पर फायरिंग कर रहे थे। यानी करीब छह से सात घंटे की मुठभेड़ हमारे बीच हुई।