‘नन ऑफ द अबॅव’ नोटा के नाम से मतदाताओं को मिला अधिकार चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहे नेताओं के लिए भारी पड़ रहा है। क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के इरादे से उतरने वाले 60 फीसदी से अधिक प्रत्याशी तो नोटा के बराबर भी लोगों के मत संग्रह नहीं कर पाते हैं।
भोपाल संभाग में आने वाले छह जिलों की स्थिति पर नजर डाली जाए तो नोटा राष्ट्रीय दल भाजपा-कांग्रेस के बाद तीसरे या फिर चौथे स्थान पर रहा है। विदिशा, गुना, रायसेन, सीहोर, राजगढ़ और अशोकनगर के पिछले चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो 25 विधानसभा में भाग्य आजमाने उतरे कई प्रत्याशियों को तो नोटा के बराबर भी जनमत संग्रह करने में सफलता नहीं मिली। वहीं चार ऐसे भी विधानसभा क्षेत्र हैं जहां पर राष्ट्रीय दलों के बाद नोटा ने तीसरे नंबर पर सर्वाधिक वोट हासिल किए।
नोटा, यानी नेताओं से नफरत का इजहार
ब्यावरा में हार के अंतर से अधिक मिले वोट
पिछले चुनाव में ब्यावरा सीट पर कांग्रेस व भाजपा में कांटे की टक्कर रही। इस दौरान कांग्रेस ने यह नजदीकी मुकाबला महज 826 वोटों के अंतराल से जीता। वहीं इस सीट पर नोटा ने 1481 वोट हासिल किए।
ब्यावरा में हार के अंतर से अधिक मिले वोट
पिछले चुनाव में ब्यावरा सीट पर कांग्रेस व भाजपा में कांटे की टक्कर रही। इस दौरान कांग्रेस ने यह नजदीकी मुकाबला महज 826 वोटों के अंतराल से जीता। वहीं इस सीट पर नोटा ने 1481 वोट हासिल किए।
एक फीसदी से अधिक को नहीं भाते नेताजी
आयोग ने मतदाताओं को चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों में से किसी को भी न चुनने का अधिकार 2013 के विधानसभा चुनाव में दिया था। इसके अंतर्गत नोटा में पड़ने वाले वोट एक तरह से चुनाव लड़ने वालों को नापसंद करने वाले वोटर्स की संख्या भी माना जा सकता है। प्रदेश में 2018 के विधानसभा के दौरान कुल मतदान प्रतिशत 75.63 फीसदी रहा, जिसमें से 1.07 फीसदी लोग अर्थात 5,40,673 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया।
आयोग ने मतदाताओं को चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों में से किसी को भी न चुनने का अधिकार 2013 के विधानसभा चुनाव में दिया था। इसके अंतर्गत नोटा में पड़ने वाले वोट एक तरह से चुनाव लड़ने वालों को नापसंद करने वाले वोटर्स की संख्या भी माना जा सकता है। प्रदेश में 2018 के विधानसभा के दौरान कुल मतदान प्रतिशत 75.63 फीसदी रहा, जिसमें से 1.07 फीसदी लोग अर्थात 5,40,673 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया।
जनता को राष्ट्रीय दलों पर ज्यादा भरोसा
इन जिलों में मतदाताओं ने राष्ट्रीय दलों पर ही भरोसा दिखाया। कांग्रेस व भाजपा के बाद कुछ हद तक बसपा ने भी जन समर्थन बटोरा लेकिन कोई खास सफलता नहीं हाथ आई। 2018 के चुनाव परिणामों के अनुसार इन दलों से हटकर नोटा का प्रभाव अन्य प्रत्याशियों से अधिक देखने को मिला। 60 फीसदी सीटों पर तो निर्दलीय या फिर क्षेत्रीय दलों के नेता नोटा के बराबर भी जन समर्थन हासिल नहीं कर सके। इन जिलों की कुल 25 विधानसभाओं में 4 स्थानों पर नोटा जहां तीसरे स्थान पर रहा तो 11 ऐसे क्षेत्र हैं जहां यह चौथे स्थान पर रहा है।
इन जिलों में मतदाताओं ने राष्ट्रीय दलों पर ही भरोसा दिखाया। कांग्रेस व भाजपा के बाद कुछ हद तक बसपा ने भी जन समर्थन बटोरा लेकिन कोई खास सफलता नहीं हाथ आई। 2018 के चुनाव परिणामों के अनुसार इन दलों से हटकर नोटा का प्रभाव अन्य प्रत्याशियों से अधिक देखने को मिला। 60 फीसदी सीटों पर तो निर्दलीय या फिर क्षेत्रीय दलों के नेता नोटा के बराबर भी जन समर्थन हासिल नहीं कर सके। इन जिलों की कुल 25 विधानसभाओं में 4 स्थानों पर नोटा जहां तीसरे स्थान पर रहा तो 11 ऐसे क्षेत्र हैं जहां यह चौथे स्थान पर रहा है।
यहां नोटा रहा तीसरे स्थान पर
चांचौड़ा विधानसभा : कांग्रेस को 81,901 वोट मिले, जबकि भाजपा को यहां 72,111 वोट और तीसरे स्थान पर नोटा को 2569 वोट मिले। यहां से कुल 8 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा, जिनमें से 5 प्रत्याशी नोटा के बराबर भी वोट नहीं हासिल कर पाए।
चांचौड़ा विधानसभा : कांग्रेस को 81,901 वोट मिले, जबकि भाजपा को यहां 72,111 वोट और तीसरे स्थान पर नोटा को 2569 वोट मिले। यहां से कुल 8 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा, जिनमें से 5 प्रत्याशी नोटा के बराबर भी वोट नहीं हासिल कर पाए।
सांची विधानसभा : यहां कांग्रेस को 89,567 वोट मिले, जबकि भाजपा को 78,754 वोट और तीसरे स्थान पर नोटा को 2519 वोट मिले। यहां से 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे जिनमें से 9 प्रत्याशी तो नोटा के बराबर वोट नहीं हासिल कर पाए।
उदयपुरा विधानसभा : यहां कांग्रेस को 86,441 वोट मिले जबकि भाजपा को 78,440 और तीसरे स्थान पर नोटा को 2973 वोट मिले। यहां पर 10 प्रत्याशी चुनाव मैदान में भाग्य आजमाने उतरे थे जिनमें से 7 प्रत्याशी नोटा के बराबर भी वोट नहीं हासिल कर पाए।
सारंगपुर विधानसभा : यहां भाजपा ने 75,005 वोट हांसिल कर पहले स्थान पर रही, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 70,624 वोट और तीसरे स्थान पर नोटा को 1590 वोट मिले। यहां कुल 7 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे जिनमें से 4 को नोटा के बराबर भी वोट नहीं मिले।