इंदौर। चुनाव में ड्यूटी से बचने के लिए कई विभागों के कर्मचारी छुट्टी के लिए अलग -अलग जतन कर रहे हैं। ऐसे ही कुछ केस मेडिकल बोर्ड के समक्ष भी पहुंचे। जब उनकी सत्यता जांची गई तो डॉक्टर व अधिकारी भी हैरान रह गए। कई केस में तो चुनावी एंजाइटी नजर आई। जिसे काउंसलर की मदद से दूर किया गया। अभी तक बोर्ड के सामने 160 के लगभग आवेदन पहुंचे हैं। जिनमें जांच व निराकरण कर आवेदन बंद लिफाफे में कलेक्टोरेट भेजे गए।
केस 01: एक विभाग की महिला कर्मचारी ने वाक-निशक्तता को लेकर आवेदन किया। जब वे बोर्ड के समक्ष पहुंचीं तो उनसे छुट्टी का कारण पूछा गया। इस पर वह फर्राटे से बोली मैं धारा प्रवाह बोल नहीं सकती, बोलने में हकलाती हूं। अन्य सवालों के जवाब भी उन्होंने बगैर हकलाते हुए दिए। इस पर बोर्ड ने इसे कोई विशेष कारण नहीं माना।
केस 02: एक विभाग में नव नियुक्त कर्मचारी ने बुखार का आवेदन देकर चुनाव वाले दिनों में अवकाश मांगा। जब मेडिकल बोर्ड ने जांच कि तो सभी रिपोर्ट नार्मल नजर आई। बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट दी व काउंसलर की मदद ली। कर्मचारी ने बताया कि अभी-अभी नौकरी लगी है। चुनाव में अगर कोई गलती हुई तो नौकरी भी जा सकती है। इसलिए वह डर गए व कुुछ लोगों की सलाह पर आवेदन दिया था।
केस 03: एक बुजुर्ग कर्मचारी ने स्वास्थ्य ठीक नहीं होने को लेकर आवेदन दिया। जब उनसे बीमारी को लेकर पहले की जांच रिपोर्ट मांगी गई तो वह नहीं दे सके। मेडिकल बोर्ड ने काउंसलर की मदद ली तो पता चला चुनावी एंजाइटी का शिकार वे हो रहे थे। इस पर समझाइश देकर चुनावी ड्यूटी के लिए तैयार किया गया।