Saturday, October 18

भाजपा का भरोसा एक बार फिर शर्मा बंधु, यहां सातवीं बार फिर रोचक होगा मुकाबला

गोविंद सक्सेना। मप्र गठन के बाद अस्तित्व में आए सिरोंज-लटेरी विधानसभा क्षेत्र में पहला चुनाव 1957 में हुआ। इस लिहाज से सिरोंज विधानसभा में 14 चुनाव हो चुके हैं और इनमेे से कांग्रेस केवल तीन बार ही यहां से जीत सकी है। सबसे ज्यादा चार बार इस विधानसभा क्षेंत्र से लक्ष्मीकांत शर्मा जीते। पांचवीं बार भी उन्हें टिकट मिला लेकिन वे हार गए, कांग्रेस के गोवर्धन उपाध्याय ने उन्हें पराजित किया था। लक्ष्मीकांत (Lakshmikant Sharma)के बाद उनके अनुज उमाकांत शर्मा (Umakant Sharma) भाजपा के टिकट पर यहां से विधायक बने। यानी यहां से लगातार पांच बार भाजपा का टिकट मिला लक्ष्मीकांत शर्मा को और लगातार दूसरी बार अब उमाकांत शर्मा को। इस तरह यह लगातार सातवां मौका है जब भाजपा (BJP) ने सिरोंज विधानसभा उम्मीदवार के रूप में शर्मा बंधुओं पर विश्वास जताया है।

इस बार मप्र विधानसभा के चुनाव (MP Assembly Election) के लिए घोषित भाजपा की अब तक की सूचियों में जिले से केवल सिरोंज उम्मीदवार के रूप में उमाकांत शर्मा का ही नाम फाइनल हुआ है। इस नाम के फाइनल होने से उनका टिकट कटने की तमाम अटकलों पर विराम लगने के साथ ही यह भी साफ हो गया है कि हर मोर्चे पर मुखर रहने के बावजूद भाजपा (BJP) का उमाकांत शर्मा (Umakant Sharma) पर भरोसा कायम है।

सिरोंज में कब, कौन रहा विधायक

1957-मदनलाल -हिन्दू महासभा

1962-मदनलाल-हिन्दू महासभा

1967-मंगलसिंह-जनसंघ

1972-इनायतउल्ला खां तरजीह मशरिकी-कांग्रेस

1977-शरीफ मास्टर-जनता पार्टी

1980- राधारमण भार्गाव-भाजपा

1985- गोवर्धन उपाध्याय- कांग्रेस

1990-भवानीसिंह रघुवंशी-भाजपा

1993-लक्ष्मीकांत शर्मा-भाजपा

1998-लक्ष्मीकांत शर्मा-भाजपा

2003-लक्ष्मीकांत शर्मा-भाजपा

2008-लक्ष्मीकांत शर्मा-भाजपा

2013-गोवर्धन उपाध्याय-कांग्रेस

2018-उमाकांत शर्मा-भाजपा

मुस्लिम, यादव और रघुवंशी का बाहुल्य सिरोंज

लटेरी विधानसभा क्षेत्र की आबादी करीब 3 लाख 40 हजार के करीब है। यहां मतदाताओं की संंख्या 2 लाख 22 हजार 529 है। इसमें से 117228 पुरुष, 105290 महिला और 11 थर्ड जेंडर मतदाता हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण देखें तो मुस्लिम, यादव और रघुवंशी मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। मुस्लिम मतदाताओं की अधिकता के बावजूद यहां से हिन्दू महासभा, जनसंघ, जनता पार्टी और अब भाजपा ने सबसे ज्यादा राज किया है।

प्रधानाचार्य से विधायक तक का सफर

दूसरी बार भाजपा प्रत्याशी बनाए गए उमाकांत शर्मा राजनीति में आने से पहले से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सीधे जुड़े रहे है। वे सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य रहे हैं। उन्हें प्रबंधन का मास्टर माना जाता है, लेकिन वे उतने ही मुखर भी हैं और कभी कभी अपने बयानों से अपनी ही पार्टी को मुश्किल में डालते भी नजर आते हैं। अपने बड़े भाई लक्ष्मीकांत शर्मा का चुनावी प्रबंधन अक्सर उनके ही हाथों में रहता था। वे भाजपा के जिलाध्यक्ष भी रहे और 2018 में लक्ष्मीकांत शर्मा की जगह उन्हें सिरोंज विधानसभा सीट से भाजपा ने उम्मीदवार बनाया। वे जीते और कांगेस के पास चली गई इस सीट को फिर छीन लिया। भाजपा ने इस बार फिर उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित किया है।