Tuesday, October 21

भोपाल के बड़ा तालाब में दौड़ेंगी केरल जैसी नाव

एमपी में जल्द ही केरल का सा नजारा नजर आएगा। यहां के बड़ा तालाब में केरल की तर्ज पर सोलर नौकाएं चलाने की तैयारी की जा रही है। भोपाल में मोटर से चलने वाली बोट और क्रूज के संचालन पर एनजीटी के पाबंदी के बाद केरल में चलने वाली सोलर बोट को मुख्य विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

राजधानी में हर रोज 1000 लोग बोट क्लब पर पहुंचते हैं। क्रूज, जलपरी के साथ 20 मोटर बोट का संचालन बंद हो जाने से यहां आने वाले लोग परेशान हो रहे हैं। यही कारण है कि केरल की तर्ज पर सोलर बोट चलाने की चर्चा चल पड़ी है।

बता दें कि केरल में ही देश की पहली सोलर फेयरी भी शुरू की जा चुकी है। इसकी खरीदी लागत जरूर ज्यादा है, लेकिन संचालन का खर्च बहुत कम है। 1.95 करोड़ रुपए कीमत की बोट का पूरे दिन में संचालन खर्च महज 200 रुपए आ रहा है।

केरल स्टेट वाटर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने 75 यात्रियों की क्षमता की सोलर फेयरी आदित्य को पानी में उतारा हुआ है। धूप में ये 6 घंटे से अधिक समय तक किसी बाहरी चार्ज के बिना पानी में चल सकता है। पर्यावरण संरक्षण के साथ सस्ता संचालन हो रहा है। अब केरल सरकार 50 प्रतिशत बोट को सोलर बोट में बदल रही है। हल्का रखने के लिए इन्हें फायबर से बनाया जा रहा है।

देश में सोलर इलेक्ट्रिक बोट पर तैयार एक रिपोर्ट के अनुसार यहां 2028 तक इलेक्ट्रिक बोट का बाजार 11.43 बिलियन का हो जाएगा। केरल के बाद ओडिशा की चिल्का झील से लेकर अयोध्या तक में सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाटर बोट चलाई जा रही हैं। अयोध्या विकास प्राधिकरण ने शहरी पर्यटन बढ़ाने सोलर एनर्जी बोट का प्लान बनाया है। वाराणसी में देश की पहली हाइड्रोजन ईंधन चलित बोट भी शुरू होने वाली है।

यही कारण है कि बड़ा तालाब पर भी ऐसी एक्टिविटी की मांग की जा रही है। विशेषज्ञ बताते हैं कि तालाब किनारे पार्क, स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स बना सकते हैं। रिटायर्ड संयुक्त संचालक टीएंडसीपी वीपी कुलश्रेष्ठ का कहना है कि तालाब के एफटीएल किनारे कुछ मनोरंजक गतिविधियों में पार्क बनाया जा सकता है। यहां अस्थायी व कच्ची सामग्री से मीटिंग हॉल, खेल गतिविधियों के लिए लैंड स्केपिंग की जा सकती है।

बीयू में जल एक्सपर्ट प्रोफेसर विपिन व्यास का कहना है कि वेटलैंड रूल्स में गतिविधियां तय की गई है। संबंधित एजेंसी ये सुनिश्चित करें कि किसी भी गतिविधि से सोलर व लिक्विड वेस्ट जलस्रोत में सीधे न जाएं। केरल की तर्ज पर सोलर नौकाएं चलाने से न केवल एनजीटी के नियमों का पालन किया जा सकेगा बल्कि टूरिस्ट भी लुत्फ उठा सकेंगे।