Saturday, October 18

MP में मंत्रिमंडल विस्तार, गौरीशंकर बिसेन समेत तीन से चार मंत्री बनेंगे, भाजपा को आखिर जरूरत क्यों पड़ गई

मध्यप्रदेश की शिवराज चौहान सिंह सरकार का चौथा और संभावित आखिरी मंत्रिमंडल विस्तार आज या फिर कल हो सकता है। इसमें तीन से चार नए मंत्रियों को जगह मिल सकती है। दरअसल, अभी मंत्रिमंडल में चार पद रिक्त हैं, ऐसे में इन सभी पर चेहरों की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। माना जा रहा है कि पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष गौरी शंकर बिसेन समेत तीन से चार नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है।

ये हो सकते हैं चार मंत्री
गौरी शंकर बिसेन बालाघाट से विधायक हैं। प्रदेश में पूर्व मंत्री रहे हैं। इसके अतिरिक्त रीवा से विधायक और पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल को भी कैबिनेट में लिया जा सकता है। जिस नाम पर सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है, वह है उमा भारती के भतीजा राहुल लोधी। खरगापुर से विधायक राहुल लोधी को भी मंत्रिमंडल में जगह देकर उमा भारती को राजनीतिक तौर पर साधने की कोशिश है। हालांकि इसके अतिरिक्त केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के भाई जालम सिंह पटेल की दावेदारी भी तीसरे उम्मीदवार के तौर पर हो रही है। जबकि चौथे मंत्री के तौर पर किसी आदिवासी को लाने की वकालत की जा रही है। हालांकि चौथे उम्मीदवार के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने समर्थक के लिए दावेदारी कर रहे हैं।
विस्तार से क्या होगा?
दरअसल, बघेलखंड से लेकर बालाघाट तक गौरी शंकर बिसेन का प्रभाव क्षेत्र है। बिसेन 71 साल के हैं और पार्टी से नाराज चल रहे हैं। दरअसल, उन्हें कैबिनेट में जगह मिलने की उम्मीद थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें मौका नहीं दिया। इसके उलट उनकी नाराजगी को कम करने के लिए उन्हें पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री दर्जा जरूर दे दिया गया था। वहीं, विंध्य में ब्राहृमण वोटरों को साधने के लिए पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल का नाम आगे बढ़ाया गया है। जबकि उमा भारती के भतीजे के सहारे लोध वोटों की राजनीति को बैलेंस करने की रणनीति है।
रामपाल सिंह को मंत्री दर्जा देकर किनारे किया
इस कैबिनेट में दावेदारी करने वालों में सिलवानी से विधायक और पूर्व मंत्री रामपाल सिंह भी थे। मुख्यमंत्री के करीबी होने के साथ जातीय आधार पर भी वह अपनी उम्मीदवारी मान रहे थे। लेकिन पार्टी ने चार रोज पहले उन्हें दीनदयाल अंत्योदय अभियान का प्रभारी बनाकर कैबिनेट मंत्री दर्जा देकर किनारे कर दिया।
आखिरी समय में विस्तार क्यों?
दरअसल, भाजपा की अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में उन्हें जातीय और क्षेत्रीय असंतुलन की जानकारी आ रही है। ऐसे में आखिरी मौके पर दांव खेलकर उसे साधने की कोशिश की जा रही है। हालांकि पार्टी के भीतर इस विस्तार की मांग पिछले एक साल से उठ रही थी, लेकिन पार्टी हिम्मत नहीं दिखा पा रही थी। उस वक्त में कुछ मंत्रियों की छटनी कर नए मंत्रियों को जगह देने की बात भी कही गई थी। लेकिन अब आखिरी वक्त में किसी मंत्री को बाहर का रास्ता दिखाना शायद संभव नहीं होगा और भाजपा इसे बड़े मंत्रिमंडल विस्तार के रूप में भी देखना नहीं चाहेगी।