
कर्नाटक सरकार के पास विकास के लिए पैसा नहीं है। राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का यह बयान इन दिनों सुर्खियों में है। शिवकुमार ने कहा कि कांग्रेस सरकार इस साल ज्यादा विकास नहीं कर पाएगी क्योंकि उसके पास ज्यादा पैसे नहीं है। डिप्टी सीएम शिवकुमार ने बुधवार को कहा कि 5 चुनावी गारंटी के कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न आर्थिक बाधाओं की वजह से इस साल विकास के लिए विधायक फंड मुहैया नहीं करा सकती है। शिवकुमार ने कहा कि उन्हें अपनी 5 गारंटी योजनाओं को पूरा करना है जिसके लिए उन्हें अलग से पैसे रखने होंगे। सीएम सिद्धारमैया की तरह ही उपमुख्यमंत्री शिव कुमार ने भी पिछली भाजपा सरकार को दिवालियापन का कारण बताया और कहा कि उसने जरूरत से ज्यादा टेंडर देकर सरकार का खजाना खाली कर दिया।
पांच गारंटी योजनाओं के लिए 40,000 करोड़
शिवकुमार ने कहा कि इसी कारण उन्होंने विधायकों से 1 साल के लिए अनुदान नहीं मांगने के लिए कहा है और इसके साथ धैर्य रखने की भी अपील की है। जल संसाधन और बेंगलुरु शहर के विकास मंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि हमें इस साल अपनी पांच पूर्व गारंटी योजनाओं के लिए 40,000 करोड़ अलग रखने रखने पड़े हैं। ऐसे में इन पांच गारंटी योजनाओं की वजह से दूसरे सार्वजनिक विकास कार्य पर खर्चा नहीं कर सकते।
क्या है कांग्रेस की 5 गारंटी
1. गृह ज्योति के तहत सभी परिवारों को 200 यूनिट तक बिजली हर महीने फ्री।
2. शक्ति योजना के तहत सभी महिलाओं को सरकारी बसों में फ्री यात्रा की सुविधा।
3. अन्न भाग्य के तहत बीपीएल परिवार के हर सदस्य को हर महीने 10 किलो चावल मुफ्त।
4. गृह लक्ष्मी के तहत हर परिवार की महिला मुखिया को दो हजार रुपये की मदद दी जाएगी।
5. युवा निधि के तहत दो साल तक 18 से 25 साल के बेरोजगार ग्रेजुएट को हर महीने 3,000 और डिप्लोमा होल्डर बेरोजगार को 1,500 रुपए की आर्थिक मदद।
फ्री और गैरजरूरी खर्चों ने बिगाड़े राज्यों के हालात
इस साल के अंत में चार राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले है। संभावना जताई जा रही है कि सियासी दल राज्यों के वोटरों को लुभाने के लिए कई लोकलुभावने वादे करेंगे। राजनीतिक दल अपने मेनिफेस्टो में मुफ्त बिजली और राशन जैसी स्कीमों की पेशकश वोटरों को आकर्षित करने के लिए करेंगी। बीते दिनों संपन्न कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में भी कुछ ऐसा कुछ देखा गया था। कर्ज की बड़ी वजह फ्री की योजनाएं भी हैं।
मुफ्त योजनाओं पर खर्च में आंध्र प्रदेश सबसे आगे
लोकलुभावन योजनाओं पर खर्च करने लिस्ट में आंध्र प्रदेश सबसे आगे है। मुफ्त वाली योजनाओं पर खर्च करने आंध्र प्रदेश (27,541 करोड़) शीर्ष पर है। इस सूची में मध्यप्रदेश 21 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। पंजाब में कुल 17 हजार करोड़ रु. की फ्री योजनाएं संचालित हो रही है।
पंजाब सबसे बढ़ा कर्जदार
देश में सबसे ज्यादा कर्ज पंजाब राज्य पर है। पंजाब ने अपनी जीडीपी का 53.3% तक कर्ज ले रखा है। पंजाब और हरियाणा अपनी कमाई का 21 प्रतिशत हिस्सा ब्याज में चुका रहे हैं, जो देश में सर्वाधिक है। बढ़ी हुई उधारी के साथ और हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में एक सीमा तक मुफ्त पानी और बिजली जैसे वादे भी किए गए हैं। रिजर्व बैंक का कहना है कि किसी भी राज्य पर कर्ज उसकी जीडीपी के 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। वरना राज्यों की आय का एक बड़ा भाग कर्ज के ब्याज को चुकाने में चला जाता है।
हिमाचल प्रदेश भी कर्ज में डूबा है
हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन, बागवानी और जलविद्युत पर निर्भर है। लेकिन 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। इसमें लगातार बढ़ रही मजदूरी और पिछली सरकार से कर्मचारियों एवं पेंशनरों के वेतन एवं महंगाई भत्ते के बकाए के रूप में लगभग 11 हजार करोड़ रुपये की देनदारी है। छह महीने पुरानी कांग्रेस सरकार ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करने का वादा पूरा किया है, माना जा रहा है कि यह पहाड़ी राज्य का कर्ज बढ़ने वाला है।
मध्य प्रदेश पर भारी कर्ज
मध्य प्रदेश सरकार मतदाताओं को लुभाने के लिए कई लोकलुभावन योजनाओं और मुफ्त उपहारों का ऐलान किया। जबकि राज्य करीब 3.5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज पहले से चढ़ा हुआ है। मध्य प्रदेश में बीते साल 2022-2023 में ने 2.79 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक बजट पेश किया था, जबकि सरकार पर 3.31 लाख करोड़ रुपये का बढ़ता कर्ज था।
आइए जानते हैं कौन सा राज्य कितना कर्ज में डूबा हुआ है
(ये आकड़े आरबीआई रिपोर्ट के अनुसार)
तमिलनाडु — 7.53 लाख करोड़ रुपए
उत्तर प्रदेश — 7.10 लाख करोड़ रुपए
महाराष्ट्र — 6.80 लाख करोड़ रुपए
पश्चिम बंगाल — 6.08 लाख करोड़ रुपए
राजस्थान — 5.37 लाख करोड़ रुपए
कर्नाटक — 5 35 लाख करोड़ रुपए
आंध्र प्रदेश 4.42 लाख करोड़ रुपए
गुजरात — 4.23 लाख करोड़ रुपए
केरल — 3.90 लाख करोड़ रुपए
मध्य प्रदेश — 3.78 लाख करोड़ रुपए
