मणिपुर में हिंसा की शुरुआत हुए 50 दिन से ज्यादा हो गया है। लेकिन, अभी तक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। सुरक्षाबलों ने लोगों की सुरक्षा का हवाला देते हुए शनिवार को कांगलेई यावोल कन्ना लुप ग्रुप के 12 हमलावरों को छोड़ दिया।
सेना के अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि शनिवार को इथम गांव में KYKL के करीब एक दर्जन आतंकी छिपे हुए थे। गांव की महिलाओं की लीडरशिप में करीब 1500 लोग उनकी सुरक्षा के लिए ढाल बने हुए थे। भारतीय सेना की स्पीयर कॉर्प्स के मुताबिक, 1500 लोगों की भीड़ ने सुरक्षाबलों को कार्रवाई के लिए रोक दिया था।
स्पीयर कॉर्प्स ने आगे बताया कि सुरक्षाबलों ने भीड़ से अपील की लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। ऐसे में सेना कार्रवाई करती तो नागरिकों को भी इससे काफी नुकसान पहुंचता। यही वजह है कि सेना वहां से सिर्फ जब्त हथियार लेकर वापस हो गई थी। इससे पहले सेना ने ट्वीट करके लिखा था कि ”हमारी टुकड़ियां और मानवरहित विमान (UAV) इलाके की निगरानी कर रहे हैं। स्थिति नियंत्रण में है और करीब से नजर रखी जा रही है।
अतिरिक्त टुकड़ियों को इलाके में भेजा गया है और संयुक्त अभियान जारी है।’’ अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने एक इंसास लाइट मशीनगन और एक इंसास राइफल बरामद की है।
मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों में हुए जातीय संघर्ष में अब तक 100 से अधिक लोग मरेPTI न्यूज एजेंसी के मुताबिक, मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों में हुए जातीय संघर्ष में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें हुई हैं।
मणिपुर में मेइती समुदाय की आबादी 53 प्रतिशत है, जिनमें से ज्यादातर इंफाल घाटी में रहती है, वहीं नगा और कुकी जनजातियों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और ये ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। बीते कल गृहमंत्री के अगुवाई में मणिपुर हिंसा से निपटने के लिए सर्वदलीय बैठक भी हुई।