ग्वालियर। वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की शहादत पर सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता बुंदेले हर बोलो पर आधारित महानाट्य ‘खूब लड़ी मर्दानी’ का भव्य मंचन तीन साल बाद एक बार फिर होने जा रहा है। आपको बता दें कि कविता में तत्कालीन सिंधिया राजपरिवार को गद्दार बताने वाला यह महानाट्य ग्वालियर में 14 साल से रानी लक्ष्मीबाई की शहादत की वर्षगांठ पर आयोजित किया जाता रहा।लेकिन सिंधिया के भाजपा में आने के बाद तीन साल से इस महानाटक का आयोजन बंद हो चुका था। इस बार एक बार फिर भव्यता के साथ इसकी शुरुआत होने जा रही है। वहीं इस बार इस महानाट्य की स्क्रिप्ट में सिंधिया को विवादों के दायरे में लाने वाला हिस्सा हटा दिया गया है।
मेले में शहीद राजगुरु के वंशजों का सम्मान भी
ग्वालियर में रानी लक्ष्मीबाई समाधि स्थल के पास यह दो दिवसीय वीरांगना बलिदान मेला आयोजित किया जा रहा है। इस बार 17-18 जून को मेला लगेगा। इस दौरान शहीद राजगुरु के वंशजों का सम्मान कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है। इसके पहले 17 जून को झांसी से बुंदेली युवा शहीद ज्योति यात्रा लेकर ग्वालियर पहुंचेंगे। वहीं 250 कलाकार इस जीवंत महानाट्य खूब लड़ी मर्दानी का मंचन करेंगे। इस महानाट्य के लेखक और निर्देशक चंद्र प्रताप सिकरवार से जब स्क्रिप्ट बदलने को लेकर पूछा गया, तो उन्होंने कहा इस बार महानाट्य नए कलेवर में प्रस्तुत किया जाएगा।
पवैया बोले- सजीव हो उठेगा 1857 की क्रांति का इतिहास
मेला के संस्थापक अध्यक्ष भाजपा नेता जयभान सिंह पवैया ने बताया, सन 2000 में स्थापित इस राष्ट्रीय स्तरीय मेले का यह 24वां आयोजन है। महानाट्य में जीवित ऊंट, घोड़े, बग्घी आदि से युद्ध स्थल पर 1857 का इतिहास सजीव हो उठेगा।
18 जून को कवि सम्मेलन और प्रदर्शनी भी
18 जून की शाम अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन में भारत के कवि पूरब-पश्चिम फिल्म के अमर गीतकार संतोषानंद, विनीत चौहान, कविता तिवार, हेमंत पांडेय, गजेंद्र प्रियांशु, जानी बैरागी, शम्भू शिखर, शशिकांत यादव, राम भदावर अपने काव्य का पाठ करेंगे। वहीं इसी दिन शाम 8 बजे जरा याद करो कुर्बानी प्रदर्शनी शुरू की जाएगी। इस प्रदर्शनी में रानी के मौलिक शस्त्रों को देखने का मौका मिलेगा।
सिंधिया के भाजपा में आने के बाद नहीं हुआ महानाट्य
वीरांगना लक्ष्मीबाई बलिदान मेले में इस नाटक की प्रस्तुति 14 साल से लगातार की जा रही थी। उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे और लक्ष्मीबाई मेले के संस्थापक जयभान सिंह पवैया भारतीय जनता पार्टी में। लेकिन सिंधिया के बीजेपी में आते ही उनके खिलाफ दिखाया जाने वाला ऐतिहासिक नाटक खूब लड़ी मर्दानी नाटक का प्रदर्शन ही नहीं हो सका। इसका कारण कोविड काल को बताया गया।