Saturday, September 27

क्या मानसून सत्र में ही देश में लागू हो जाएगा यूनिफॉर्म सिविल कोड? जानिए क्या है सरकार की तैयारी

इस साल के अंत तक पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। अगले साल लोकसभा चुनाव होना है। इस बीच, देश में एक बार फिर से यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। केंद्र सरकार की ओर से गठित 22वें विधि आयोग ने UCC पर आम जनता और धार्मिक संस्थाओं के जुड़े विशिष्ट व्यक्तियों से राय मांगने का काम शुरू कर दिया है। इस बात की चर्चा हर जगह खूब हो रही है कि आने वाले दस महीनों में UCC का मुद्दा पूरे देश की राजनीति का दशा और दिशा तय करेगा। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर अब तक इस मुद्दे पर क्या-क्या हुआ है ? क्या केंद्र सरकार इसी मानसून सत्र में पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू कर देगी? आइए समझने की कोशिश करते हैं

सबसे पहले जानते हैं समान नागरिक संहिता या यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) है क्या ?
सरल भाषा में कहें तो यूनिफॉर्म सिविल कोड एक ऐसा प्रावधान होगा, जिसमें देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होंगे। फिर वह किसी धर्म, जाति या समुदाय या पंथ से क्यों न हो। इसमें शादी, तलाक, बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया और संपत्ति के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक सामान कानून लागू होगा। समान नागरिक संहिता को पंथनिरपेक्ष कानून भी कहा जाता है जो देश के सभी धर्मों के लोगों के लिए समान रूप से लागू होता है।

इसके जरिए हर प्रकार के धर्म को मानने वालों के लिए सामान कानून का ही पालन करना पड़ेगा। हमारे संविधान में अब तक अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं, जो UCC लागू होने के बाद खत्म हो जाएंगे। इसमें महिलाओं और पुरुषों को भी समान अधिकार मिलेंगे। बता दें कि मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का पर्सनल लॉ है जबकि हिन्दू सिविल कोड के तहत हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लोग आते हैं।

प्राइवेट मेम्बर बिल हो चुका है प्रपोज
बता दें कि राज्यसभा से बीजेपी सांसद किरोणी लाल मीणा संसद में यूसीसी कोड के लिए प्राइवेट मेंबर बिल काफी पहले प्रपोज कर चुके हैं। अगर यह बिल इस बार के मानसून सेशन में चर्चा के लिए रखा जाता है और यह संसद के दोनों सदनों से पास हो जाता है तो यह कानून बन जाएगा। जिसकी संभावना प्रबल दिख रही है।

मीणा के द्वारा प्रस्तावित बिल अगर आगे लागू किया जाता है तो सभी धर्मो के लोगों के लिए शादी, तलाक, उत्तराधिकार, एडॉप्शन, गार्जियनशिप और जमीन व संपत्ति के बंटवारे के लागू होगा। पहले ये अगल-अलग धर्मों के लिए अलग कानून था, जिसकी वजह से कई निर्णयों को लेने में काफी दिक्कतें आती हैं।

लॉ कमिशन का रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
इस रिपोर्ट में कहा गया है की UCC ऐसा हो जिसमें महिलाओं और पुरुषों के बीच किसी प्रकार का भेदभाव न रहे। सभी धार्मिक आस्थाओं, मान्यताओं और भावनाओं का आदर बना रहे। संबंध विच्छेद यानी तलाक के मामलों में बच्चों के अधिकार सुनिश्चित रखे जाएं, ताकि उसके भविष्य से खिलवाड़ न हो। कोड अधिकतम स्वीकार्यता वाला हो यानी सब लोगों की मंजूरी इसमें शामिल हो और अंत में संविधान की हर कसौटियों पर खरा हो।

BJP को इससे क्या लाभ ?
आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा की UCC लागू होने से भाजपा को क्या लाभ मिलेगा तो बता दें कि UCC का मुद्दा भाजपा सरकार के लिए जनसंघ के जमाने से मुख्य मुद्दा रहा है। लंबे समय तक जनसंघ के नेताओं ने भी देश में UCC लागू करने की मांग की थी। ये मुद्दा तभी से चला आ रहा है। 2014 और फिर 2019 के चुनाव में भी भाजपा ने इसे जोरशोर से उठाया था।

पिछले नौ साल के अंदर भाजपा की केंद्र सरकार ने कई बड़े फैसले लिए। राम मंदिर का निर्माण हो या तीन तलाक पर कानून बनाने का मसला। CAA-NRC हो या जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने का कदम। अब भाजपा ने जो तीन मुख्य प्रतिज्ञा की थी, उसमे से सिर्फ UCC लागू करना ही बच गया है। ऐसे में भाजपा अगले लोकसभा चुनाव से पहले अपने तीनों वादों को पूरा करके जनता के बीच जाना चाहेगी और इस मुद्दे को जोर शोर से उठाएगी और कहेगी की हम जो कहते है, जो वादा करते हैं उसे पूरा भी करते हैं।

उदाहरण के तौर पर उसके पास पहले से ही कहने के लिए है ही पहला-हमने भव्य राम मंदिर का निर्माण कराया और दूसरा कश्मीर से 370 हटाया। अब तीसरे कसम को पूरा करने की बारी है। केंद्र सरकार इसे लागू करके देश को बड़ा सियासी संदेश देना चाहती है। इससे भाजपा का सियासी पिच भी तैयार हो जाएगी। अब इस मसले को लेकर सरकार की तैयारी पूरी हो चुकी है। इंतजार है तो बस मानसून सत्र का। अगर यह बिल लागू हो जाता है तो फिर भाजपा अगले चुनाव में फ्रंट फुट पर होगी।