Wednesday, September 24

हल्द्वानी : अब नहीं चलेगा बुलडोजर! सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, रेलवे और राज्य सरकार को भी नोटिस

उत्तराखंड के हल्द्वानी जिले में रेलवे स्टेशन के पास बसे करीब 50 हजार लोगों के सामने इस कड़ाके की ठंड में आशियाना छिनने का संकट फिलहाल टल गया है। आज हल्द्वानी रेलवे भूमि अतिक्रमण विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने में सभी संबंधित पक्ष से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने कहा कि ध्वस्त करने के लिए पुनर्वास योजना होनी चाहिए। उन्होंने इस पूरे मामले में मानवीय पहलू को देखने की बात भी कही थी। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और रेलवे प्रशासन को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से हल्द्वानी के बनभूलपूरा में रह रहे 50 हजार लोगों में खुशी की लहर है। लोगों ने कहा कि हमारी दुआ कबूल हुई।

हजारों लोगों की रोजी-रोटी से जुड़ा मामला

इस केस से हजारों लोगों की रोजी-रोटी का सवाल जुड़ा है। मालूम हो कि बीते दिनों उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी स्टेशन से 2.19 किमी दूर तक फैले बनभूलपुरा क्षेत्र को खाली करने का आदेश दिया था। इस आदेश के आधार पर रेलवे ने बनभूलपूरा के करीब 50 हजार लोगों को घर खाली करने का नोटिस दिया है।

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने दायर की थी याचिका

रेलवे की नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दाखिल की थी। साथ ही अतिक्रमण की जद में आने वाले लोगों की ओर से भी सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया था। रेलवे की नोटिस के तहत 8 जनवरी को घर खाली करने की समय सीमा पूरी हो रही है। इस केस में 50 हजार लोगों का आशियाना बचेगा या टूटेगा इसपर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला देगा।

78 एकड़ जमीन पर कब्जा, अधिकांश लोग मुस्लिम

उल्लेखनीय हो कि रेलवे की ओर से दिए गए जवाब के अनुसार हल्द्वानी में रेलवे की 78 एकड़ जमीन से 4,365 परिवारों ने अवैध कब्जा कर रखा है। जिसे खाली कराने का आदेश उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बीते दिनों दे दिया था। इस क्षेत्र में लगभग 50,000 लोग रह रहे हैं। जिनमें से 90% मुस्लिम हैं। जो अपना-अपना आशियाना बचाने के लिए सड़कों पर उतरे हैं।

9 जनवरी तक अपना सामान हटाने का निर्देश

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 78 एकड़ क्षेत्र में पांच वार्ड हैं और लगभग 25,000 मतदाता हैं। बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और बच्चों की संख्या 15,000 के करीब है। 20 दिसंबर के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद, समाचार पत्रों में नोटिस जारी किए गए थे, जिनमें लोगों को 9 जनवरी तक अपना घरेलू सामान हटाने का निर्देश दिया गया था।