विदिशा। सर्दी के मौसम में सेहत बनाने बड़ी संख्या में लोग शासकीय स्टेडियम पहुंच रहे लेकिन इस स्टेडियम की सेहत में खुद सुधार की जरूरत है। स्टेडियम की दर्शक दीर्घा पर लगे टाइलस वर्षों से उखड़े हुए हैं। यहां तक कि अब इन सीढि़यों पर घांस और पौधे भी उग आए हैं। यहां कुछ ही दिनों के बीच यहां विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं हुई यहां तक कि राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं हो चुकीं पर स्टेडियम की समस्याओं को दूर करने की तरफ ध्यान नहीं दिया। वहीं इंडोर मल्टी हॉल का कार्य भी पिछले चार वर्ष से अधूरा है और खिलाडि़यों को सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है।
मालूम हो कि वर्ष 2009 में यह स्टेडियम तैयार किया गया था। स्टेडियम में कई बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कही गई थी। स्टेडियम में पक्की दर्शक दीर्घा भी बनाई गई थी, ताकि लोग यहां बैठकर खेल स्पर्धाओं का आनंद ले सकेगे। एथलेटिक ट्रेक को सिंथेटिक ट्रेक बनाए जाने की भी घोषणा थी, लेकन ऐसा कुछ नहीं हो सका। जो दर्शक दीर्घा है वह वर्तमान में कई स्थानों से उखड़ चुकी है। इन पर धूल की परत जमी हुई है तो कहीं सीढि़यों पर बड़ी -बड़ी घांस तक उग आई है पर इनका रखरखाव ठीक से नहीं हो रहा और वर्षों बाद भी यह दुरुस्त नहीं हो पाई है।
दौड़ की राह में कंकर पत्थर, बास्केटवाल में सिंथेटिक बन रहा आफत
स्टेडियम में एथलेटिक ट्रेक ठीक नहीं है। खिलाडि़यों के दौड़ने के दौरान इस ट्रेक पर कंकर पत्थर होने से खिलाडि़यों को परेशानी होती है तो वहीं बास्केट वाल का एक ही मैदान है प्रतियोगिता के दौरान जब बालक-बालिकाओं के टूर्नामेंट कराने हो एक ही मैदान होने एवं खिलाडि़यों की अधिक संख्या के कारण समस्या आती है। ऐसे में यहां बास्केटवाल के दो मैदान की जरूरत खिलाड़ी महसूस कर रहे हैं। वहीं बास्केटवाल में सिंथेटिक कोर्ट बिछा है जिससे खिलाड़ी घायल भी होते हैं। सर्दी में इस पर ओस जम जाती है तो तो वहीं बारिश गीला रहने से खिलाड़ी खेल नहीं पाते।
13 वर्ष से बेनाम स्टेडियम
इस स्टेडियम को बने 13 वर्ष बीत गए लेकिन अभी भी बेनाम है। कुछ वर्षों पूर्व खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के आने पर स्टेडियम का नाम विजयामाता सिंधिया के नाम रखे जाने की चर्चा चली थी वहीं खेल संगठनों द्वारा स्टेडियम का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम रखने की मांग उठती रही है पर इन 13 वर्ष में स्टेडियम को उसका नाम नहीं मिल पाया है।
तीन वर्ष में भी इंडोर गेम्स मल्टी हॉल अधूरा
इधर स्टेडियम परिसर में इंडोर गेम्स के लिए मल्टी पररज हॉल का कार्य तीन वर्ष में भी अधूरा है। बारिश एवं अन्य परििस्थयों में खिलाड़ी अपना खेल अभ्यास जारी रख सकें। इसके लिए इस स्टेडियम की जरूरत थी, लेकिन निर्माण कार्य में शुरू होने के बाद गति नहीं पकड़ सका और ठेकेदार को बदलने की नौबत बनी। करीब 1 करोड़ 15 लाख रुपए में बनने वाला यह हॉल 2020 में तैयार हो जाना था, लेेकिन कभी बारिश तो कभी ठेकेदार की अनदेखी से काफी समय यह कार्य अधूरा रहा। अब भवन तैयार लेकन शेड का काम अभी भी अधूरा है। इस दो मंजिला भवन में ऊपरी तल पर दो बड़े हाल तैयार हो चुके एवं नीचे तल पर दो कमरे लेटबाथ बनाए गए हैंं। वहीं बाहर की ओर शेड का कार्य होना शेष है। खिलाडि़यों का कहना है कि इसके तैयार होने पर यहां ताइक्वांडो, कराते, टेबल टेनिस , बैडमिंटन आदि खेल के लिए बड़ी सुविधा मिल सकेगी।
वर्जन
खेल स्टेडियम में एक और बास्केटवाल कोर्ट होना जरूरी है। वहीं स्टेडियम में काफी स्थाना अनुपयोगी भी है, जिसमें घांसफूस ऊग रही। इस स्थान का उपयोग भी खो-खो, हैंडबाल आदि का मैदान तैयार कर इन स्थानों को उपयोगी बनाया जाना चाहिए।
-आशीष मोदी, जिला सचिव, बास्केटवाल संघ
स्टेडियम में सुविधाएं बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। दर्शक दीर्घा को दुरुस्त कराने के लिए एस्टीमेट तैयार कराया जा रहा वहीं इंडोर गेम्स हॉल के शेड का कार्य दिसंबर माह में पूरा करा लिया जाएगा। इसके अलावा भी जो जरूरी कार्य है वे कराए जाएंगे।
-प्रदीपसिंह रावत, जिला खेल अधिकारी