उज्जैन/भोपाल. बाबा महाकाल Baba Mahakal की नगरी अवंतिका में मंगलवार को आनंद की बारिश हुई। बम-बम भोले… हर-हर महादेव… जय महाकाल के जयकारों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी PM Modi ने श्री महाकाल लोक Mahakal Lok का लोकार्पण किया। आम सभा में प्रदेशभर से लाखों लोग पहुंचे और मोदी को सुना। भक्त उत्साह से लबरेज नजर आए। इतनी भीड़ के बावजूद छिटपुट परेशानियों को छोड़ दें तो कार्यक्रम निर्विघ्न रूप से संपन्न हुआ। अब अलौकिक श्री महाकाल लोक आम लोगों के लिए खोल दिया गया है।
श्री महाकाल लोक Mahakal Lok के लोकार्पण अवसर पर मंगलवार को कार्तिक मेला ग्राउंड में सभा हुई। यहां पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, हजारों वर्ष पूर्व जब भारत का भौगोलिक स्वरूप आज से अलग रहा होगा, तब से माना जाता रहा है कि उज्जैन भारत के केंद्र में है। एक तरह से ज्योतिषीय गणना में उज्जैन न केवल भारत का केंद्र रहा है, बल्कि भारत की आत्मा का भी केंद्र रहा है। काल चक्र का 84 कल्पों का प्रतिनिधित्व करते 84 शिवलिंग, चार महावीर हैं। नवग्रह हैं। दस विष्णु हैं। 11 रूद्र हैं, 12 आदित्य, 24 देवियां और 88 तीर्थ हैं। इन सबके केंद्र में राजाधिराज कालाधिराज महाकाल विराजमान हैं।
एक तरह से हमारे ब्रह्मांड की ऊर्जा को प्रतीक रूप में उज्जैन में स्थापित किया है। उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारत की संपन्नता और समृद्धि का नेतृत्व किया। इस नगरी का वास्तु, वैभव, शिल्प, सौंदर्य कैसा था इसके दर्शन हमें कालिदास के मेघदूत में होते हैं। बाणभट्ट जैसे कवियों ने चित्रण किया। किसी राष्ट्र का सांस्कृतिक वैभव इतना विशाल तभी होता है, जब सफलता का परचम विश्व पटल पर लहरा रहा हो। सफलता के शिखर तक पहुंचने जरूरी है कि राष्ट्र अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छुए। अपनी पहचान, गौरव के साथ सिर उठाकर खड़ा हो जाए। इसलिए आजादी के अमृतकाल में गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व जैसे पंच प्राण का आह्वान किया है।
पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण
मोदी ने कहा कि हम जब पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक प्राचीन मंदिरों को देखते हैं, तो उनकी विशालता और वास्तु आश्चर्य से भर देता है। कोणार्क का सूर्य मंदिर हो या महाराष्ट्र में एलोरा का कैलाश मंदिर, ये विस्मित कर देता है। तमिलनाडू में ब्रह्मदेवेश मंदिर है। कांचीपुरम, रामेश्वरम, वेल्लूर का मंदिर, मदुराई का मंदिर, श्रीनगर में शंकराचार्य मंदिर हैं। ऐसे कितने ही बेजोड़ मंदिर हैं। ‘न भूतो न भविष्यति का उदाहरण हैं। इन्हें देखें तो सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि उस दौर में किस तकनीक से ये बने होंगे। इनके जवाब भले न मिलते हों, लेकिन इन मंदिरों के आध्यात्मिक व सांस्कृतिक संदेश सुनाई देते हैं।
मोदी ने कहा कि हम जब पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक प्राचीन मंदिरों को देखते हैं, तो उनकी विशालता और वास्तु आश्चर्य से भर देता है। कोणार्क का सूर्य मंदिर हो या महाराष्ट्र में एलोरा का कैलाश मंदिर, ये विस्मित कर देता है। तमिलनाडू में ब्रह्मदेवेश मंदिर है। कांचीपुरम, रामेश्वरम, वेल्लूर का मंदिर, मदुराई का मंदिर, श्रीनगर में शंकराचार्य मंदिर हैं। ऐसे कितने ही बेजोड़ मंदिर हैं। ‘न भूतो न भविष्यति का उदाहरण हैं। इन्हें देखें तो सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि उस दौर में किस तकनीक से ये बने होंगे। इनके जवाब भले न मिलते हों, लेकिन इन मंदिरों के आध्यात्मिक व सांस्कृतिक संदेश सुनाई देते हैं।
धर्म-संस्कृति से लेकर चंद्रयान की बात
1. महाकाल जब प्रसन्न होते हैं, उनके आशीर्वाद से ऐसे भव्य निर्माण होते हैं। जब महाकाल का आशीर्वाद मिलता है तो काल की रेखाएं मिट जाती हैं।
2.उज्जैन की महत्ता को मोदी ने यह कहकर निरूपित किया कि महाकाल की नगरी प्रलय के प्रहार से भी मुक्त है। ज्योतिषीय गणना में ऊर्जा केंद्र रहा है।
3. अयोध्या से केदारनाथ, बद्रीनाथ तक विकास के नए आयाम गढ़े जा रहे हैं। देशभर में आध्यात्मिक ऊर्जा की स्थापना हो रही है।
4.आज नया भारत प्राचीन मूल्यों के साथ बढ़ रहा है। मिशन चंद्रयान और गगनयान के जरिए आकाश की नई छलांग लगाने के लिए तैयार है।
1. महाकाल जब प्रसन्न होते हैं, उनके आशीर्वाद से ऐसे भव्य निर्माण होते हैं। जब महाकाल का आशीर्वाद मिलता है तो काल की रेखाएं मिट जाती हैं।
2.उज्जैन की महत्ता को मोदी ने यह कहकर निरूपित किया कि महाकाल की नगरी प्रलय के प्रहार से भी मुक्त है। ज्योतिषीय गणना में ऊर्जा केंद्र रहा है।
3. अयोध्या से केदारनाथ, बद्रीनाथ तक विकास के नए आयाम गढ़े जा रहे हैं। देशभर में आध्यात्मिक ऊर्जा की स्थापना हो रही है।
4.आज नया भारत प्राचीन मूल्यों के साथ बढ़ रहा है। मिशन चंद्रयान और गगनयान के जरिए आकाश की नई छलांग लगाने के लिए तैयार है।
महाकाल की शरण में मृत्यु भी हमारा क्या कर लेगी…
मोदी ने कहा, हमारे शास्त्रों में एक वाक्य है। ‘शिवम् ज्ञानम… इसका अर्थ है कि शिव ही ज्ञान है। ज्ञान ही शिव हैं। शिव के दर्शन में ही ब्रह्मांड का सर्वोच्च दर्शन है। और दर्शन ही शिव का दर्शन है। इसलिए मानता हूं कि हमारे ज्योतिर्लिंगों का विकास भारत की आध्यात्मिक ज्योति, ज्ञान और दर्शन का विकास है। भगवान महाकाल एकमात्र ज्योतिर्लिंग हैं, जो दक्षिणमुखी हैं। ये शिव के ऐसे स्वरूप हैं, जिनकी भस्म आरती विश्व में प्रसिद्ध है। मैं इस परंपरा में भारत की जीवटता और जीवंतता के दर्शन करता हूं। इसमें भारत के अपराजेय अस्तित्व को देखता हूं। महाकाल के शरण में अंत से अनंत की यात्रा आरंभ होती है। यही हमारी सभ्यता का आत्मविश्वास है, जिसके सामथ्र्य से भारत अमर बना हुआ है। अब तक हमारी आस्था के केंद्र जागृत हैं।
अतीत देखा, सत्ताएं बदलीं, भारत का शोषण भी हुआ, आक्रमणकारियों ने उज्जैन की ऊर्जा को भी नष्ट करने के प्रयास किए, लेकिन हमारे ऋषियों ने कहा है कि महाकाल की शरण में मृत्यु भी हमारा क्या कर लेगी। इसलिए भारत अपनी आस्था के प्रामाणिक केंद्रों से बार-बार फिर उठ खड़ा हुआ। मोदी ने कहा कि महाकाल मंदिर में देश-दुनिया से लोग आते हैं। सिंहस्थ में लाखों लोग एक मंत्र, संकल्प लेकर जुटते हैं। कुंभ में आने का सौभाग्य मिला। महाकाल का बुलावा आए और बेटा आए बिना कैसे रह सकता है। उस समय कुंभ की हजारों साल की पुरानी परंपरा मन-मस्तिष्क में मंथन चल रहा था। शिप्रा के तट पर अनेक विचारों से घिरा हुआ था, उसी में से मन कर गया। कुछ शब्द चल पड़े, पता नहीं कहां से कैसे और जो भाव पैदा हुआ वो संकल्प बन गया। आज वो सृष्टि के रूप में नजर आ रहा है। मैं ऐसे साथियों को बधाई देता हूं, जिन्होंने उस समय के भाव को साकार कर दिखाया।
मोदी ने कहा, हमारे शास्त्रों में एक वाक्य है। ‘शिवम् ज्ञानम… इसका अर्थ है कि शिव ही ज्ञान है। ज्ञान ही शिव हैं। शिव के दर्शन में ही ब्रह्मांड का सर्वोच्च दर्शन है। और दर्शन ही शिव का दर्शन है। इसलिए मानता हूं कि हमारे ज्योतिर्लिंगों का विकास भारत की आध्यात्मिक ज्योति, ज्ञान और दर्शन का विकास है। भगवान महाकाल एकमात्र ज्योतिर्लिंग हैं, जो दक्षिणमुखी हैं। ये शिव के ऐसे स्वरूप हैं, जिनकी भस्म आरती विश्व में प्रसिद्ध है। मैं इस परंपरा में भारत की जीवटता और जीवंतता के दर्शन करता हूं। इसमें भारत के अपराजेय अस्तित्व को देखता हूं। महाकाल के शरण में अंत से अनंत की यात्रा आरंभ होती है। यही हमारी सभ्यता का आत्मविश्वास है, जिसके सामथ्र्य से भारत अमर बना हुआ है। अब तक हमारी आस्था के केंद्र जागृत हैं।
अतीत देखा, सत्ताएं बदलीं, भारत का शोषण भी हुआ, आक्रमणकारियों ने उज्जैन की ऊर्जा को भी नष्ट करने के प्रयास किए, लेकिन हमारे ऋषियों ने कहा है कि महाकाल की शरण में मृत्यु भी हमारा क्या कर लेगी। इसलिए भारत अपनी आस्था के प्रामाणिक केंद्रों से बार-बार फिर उठ खड़ा हुआ। मोदी ने कहा कि महाकाल मंदिर में देश-दुनिया से लोग आते हैं। सिंहस्थ में लाखों लोग एक मंत्र, संकल्प लेकर जुटते हैं। कुंभ में आने का सौभाग्य मिला। महाकाल का बुलावा आए और बेटा आए बिना कैसे रह सकता है। उस समय कुंभ की हजारों साल की पुरानी परंपरा मन-मस्तिष्क में मंथन चल रहा था। शिप्रा के तट पर अनेक विचारों से घिरा हुआ था, उसी में से मन कर गया। कुछ शब्द चल पड़े, पता नहीं कहां से कैसे और जो भाव पैदा हुआ वो संकल्प बन गया। आज वो सृष्टि के रूप में नजर आ रहा है। मैं ऐसे साथियों को बधाई देता हूं, जिन्होंने उस समय के भाव को साकार कर दिखाया।
भगवान शिव कृपा करें: सीएम
इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वर्ष 2018 की कैबिनेट में महाकाल लोक को तय किया। टेंडर हुए। 2019-20 में थोड़ी गड़बड़ हुई, लेकिन 2021 में फिर काम हुआ। दुनिया जिसे ठुकराती, उसे भी शिव अपनाते। जब मंथन हुआ, तो शिव ने हलाहल को पीकर कंठ में धारण किया। वो भगवान शिव हम पर कृपा की वर्षा करें। पीएम मोदी के नेतृत्व में जो भारत का निर्माण हो रहा है, उसमें हम भी अपना सर्वश्रेष्ठ देने का संकल्प लें। मध्यप्रदेश भारत निर्माण में पूरी ताकत झोंक देगा। मुख्यमंत्री शिवराज ने इस दौरान हर-हर महादेव का जयकारा भी लगवाया।
इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वर्ष 2018 की कैबिनेट में महाकाल लोक को तय किया। टेंडर हुए। 2019-20 में थोड़ी गड़बड़ हुई, लेकिन 2021 में फिर काम हुआ। दुनिया जिसे ठुकराती, उसे भी शिव अपनाते। जब मंथन हुआ, तो शिव ने हलाहल को पीकर कंठ में धारण किया। वो भगवान शिव हम पर कृपा की वर्षा करें। पीएम मोदी के नेतृत्व में जो भारत का निर्माण हो रहा है, उसमें हम भी अपना सर्वश्रेष्ठ देने का संकल्प लें। मध्यप्रदेश भारत निर्माण में पूरी ताकत झोंक देगा। मुख्यमंत्री शिवराज ने इस दौरान हर-हर महादेव का जयकारा भी लगवाया।