महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आज अपने दशहरा उत्सव कार्यक्रम में पहली बार महिला को चीफ गेस्ट बनाया। अपने संबोधन में खुद आरएसएस (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने स्पष्ट कहा कि महिलाओं की भागीदारी के बिना कोई भी संगठन स्थापित नहीं किया जा सकता है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ ही विजय दशमी समारोह में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उपस्थित रहें। जबकि मुख्य अतिथी के रूप में माउंट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाली पहली महिला पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव उपस्थित रहीं।
साल 1925 के बाद से आरएसएस के दशहरा उत्सव में पुरुष ही मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करते रहे है, लेकिन इस साल पहली बार इस कार्यक्रम में संघ ने किसी महिला को मुख्य अतिथि के तौर पर मंच पर बिठाया. साल 1925 में दशहरे के दिन ही नागपुर में आरएसएस की स्थापना हुई थी। इस वजह से संघ के लिए दशहरे का दिन बहुत खास होता है।
इस अवसर पर पर्वतारोही संतोष यादव ने कहा “अक्सर मेरे व्यवहार और आचरण से लोग मुझसे पूछते थे कि ‘क्या मैं संघी हूं?’ तब मैं पूछती की वह क्या होता है? मैं उस वक्त संघ के बारे में नहीं जानती थी। आज वह प्रारब्ध है कि मैं संघ के इस सर्वोच्च मंच पर आप सब से स्नेह पा रही हूं
पद्मश्री संतोष यादव ने कहा “पूरे भारत ही नहीं, पूरे विश्व के मानव समाज को मैं अनुरोध करना चाहती हूँ कि वो आये और संघ के कार्यकलापों को देखे। यह शोभनीय है, एवं प्रेरित करने वाला है।”
वहीँ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, जो सब काम मातृ शक्ति कर सकती है वह सब काम पुरुष नहीं कर सकते, इतनी उनकी शक्ति है और इसलिए उनको इस प्रकार प्रबुद्ध, सशक्त बनाना, उनका सशक्तिकरण करना और उनको काम करने की स्वतंत्रता देना और कार्यों में बराबरी की सहभागिता देना अहम है।
भागवत ने कहा “रोज़गार मतलब नौकरी और नौकरी के पीछे ही भागेंगे और वह भी सरकारी। अगर ऐसे सब लोग दौड़ेंगे तो नौकरी कितनी दे सकते हैं? किसी भी समाज में सराकरी और प्राइवेट मिलाकर ज़्यादा से ज़्यादा 10, 20, 30 प्रतिशत नौकरी होती है। बाकी सब को अपना काम करना पड़ता है।”
आरएसएस चीफ ने कहा “यह सही है कि जनसंख्या जितनी अधिक उतना बोझ ज़्यादा। जनसंख्या का ठीक से उपयोग किया तो वह साधन बनता है। हमको भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 वर्षों के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है। इसलिए जनसंख्या की एक समग्र नीति बने और वह सब पर समान रूप से लागू हो।”