Tuesday, September 23

कहीं रावण की पूजा, कहीं पथराव और कहीं होगा दहन

विदिशा. सनातन संस्कृति में भी हर उत्सव के अलग और अनोखे रंग हैं जो लोक मान्यताओं और स्थान के अनुसार बदलते रहते हैं। अब विजयादशमी को ही ले लें। इस बार यह पर्व 5 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। पूरे देश में विजयादशमी पर्व अधर्म पर धर्म की जीत के प्रतीक के रूप में मनाते हुए रावण के पुतलों का दहन कर मनाया जाता है। लेकिन विदिशा में तीन तरह की मान्यताओं के अनुरूप दशहरा मनता है। जिले का एक गांव रावन है, जहां रावण की पूजा इष्टदेव के रूप में होती है। वहीं लटेरी के कालादेव में राम की सेना पर रावण की सेना द्वारा पथराव किया जाता है। जबकि बाकी शहरों और ग्रामीण क्षेत्र में अधर्म के प्रतीक के रूप में रावण के पुतलों का दहन किया जाता है।

कल यहां पूजे जाएंगे रावण बाबा…नाभि पर होगा घी का लेपविदिशा. जब दुनियां भर में दशहरे पर रावण के पुतलों का दहन होगा, तब विदिशा के रावन गांव में रावण बाबा के दरबार में पहुंचकर सैंकड़ों लोग उनकी पूजा करेंगे। रावण की लेटी हुई प्रतिमा की नाभि पर घी का लेप किया जाएगा ताकि भगवान राम द्वारा रावण की नाभि में मारे गए अग्रिबाण की पीड़ा से उनको राहत मिले। इसके साथ ही यहां दिन भर पूजा-अनुष्ठान होंगे। जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर नटेरन तहसील के गांव रावन का नाम ही यहां मौजूद प्राचीन रावण प्रतिमा के कारण पड़ा है। यहां रावण का मंदिर है, जिसमें करीब 10 फीट लंबी और 3 फीट चौड़ी रावण की प्रतिमा लेटी हुई है। पूरे गांव में रावण को रावण बाबा के नाम से जाना जाता है। ब्राम्हण बाहुल्य इस गांव में हर शुभ कार्य में प्रथम पूज्य रावण बाबा ही हैं। गांव में विवाह के बाद आने वाले बहू-बेटे भी सबसे पहले यहीं मत्था टेकते हैं। रावण बाबा के मंदिर में रामधुन और रामायण पाठ भी होता है। इस गांव में रावण की मान्यता किसी इष्टदेव से कम नहीं है।

कालादेव में राम जी की सेना पर बरसाए जाएंगे पत्थर

लटेरी के आनंदपुर क्षेत्र में कालादेव का दशहरा भी खूब प्रसिद्ध है। यहां राम-रावण की सेनाओं के बीच पत्थर चलते हैं। बीच मैदान में रावण की प्रतीक प्रतिमा है। मैदान में विजय का ध्वज लगाया जाता है। इसे हासिल करने कालादेव गांव के लोग रामजी के जयकारे लगाते हुए दौड़ते हैं। वे ध्वज की परिक्रमा करते हैं। लेकिन इस बीच रावण की सेना माने जाने वाले भील उन पर गोफन से पत्थर बरसाते हैं। सैंकड़ों पत्थरों में से भी कोई पत्थर राम सेना के लोगों को नहीं लगता। इसके बाद भगवान राम का राजतिलक किया जाता है। इस अनूठे दशहरे को देखने लटेरी-सिरोंज सहित आसपास के शहरों, ग्रामीण अंचल के लोग भी हजारों की संख्या में पहुंचते हैं।

विदिशा में 35 फीट के रावण के पुतले का दहन

विदिशा के जैन कॉलेज परिसर में रामलीला मेला समिति के तत्वावधान में आयोजित दशहरा कार्यक्रम में रावण के 35 फीट ऊंचे पुतले का दहन किया जाएगा। शाम पांच बजे पेढ़ी से शुरू होने वाले चल समारोह में रामजी की सवारी, बालाजी की पालकी, हाथी वाली हवेली का राजपूत परिवार, राजपूत सरदार सहित गणमान्य लोग दशहरा मैदान पहुंचेंगे। यहां शमी पूजन होगा, आतिशबाजी का प्रदर्शन किया जाएगा। रामलीला मेला समिति के अध्यक्ष कलेक्टर द्वारा भगवान का पूजन होगा। राम-रावण की सेना के बीच सांकेतिक युद्ध होगा और फिर किले की गगनभेदी आवाज के बाद रावण के पुतले का दहन होगा। रावण दहन के बाद देर रात दुर्गोत्सव चल समारोह शुरू होगा, जिसमें पूरी रात नगर में स्थापित देवी प्रतिमाओं और झिलमिल झांकियों को चल समारोह निकलेगा। यह चल समारोह सनातन श्रीहिउस के तत्वावधान में निकाली जाएगी।