पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री के बीच ट्विटर पर जंग छिड़ गई। इस दौरान दोनों ने एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए। हद तो तब हो गई जब दोनों ही अपने पद और शब्दों की मर्यादा को भी लांघ गए। इमरान खान ने जरदारी-शरीफ को माफिया तो शाहबाज शरीफ ने खान को कम दिमाग वाला टैग दे दिया। ये जंग इतनी तीखी हुई कि सोशल मीडिया पर यूजर्स भी चुटकी लेने से पीछे नहीं हटे।
इमरान खान ने कहा- ये है इंपोर्टेड सरकार
पाकिस्तान के पूर्व PM इमरान खान ने सरकार को विदेशी ताकतों द्वारा थोपी गई सरकार करार दिया और कई सवाल दागे। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “अमेरिकी साजिश से लाई गई क्राइम मिनिस्टर जरदारी के नेतृत्व वाली इंपोर्टेड सरकार पर कैसे भरोसा करें, जिसके परिवार के भ्रष्टाचार पर किताबें लिखी गई हैं।” उन्होंने आरोप लगाए कि सरकार देश की संपत्ति को विदेशियों को धड़ल्ले से बेच रही है।
इससे पहले शनिवार को इमरान खान ने वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा था, “महज 3 महीने में जरदारी-शरीफ माफिया ने देश को राजनीतिक और आर्थिक रूप से घुटनों पर ला दिया है; वो भी केवल उस पैसे को बचाने के लिए जो पाकिस्तान को 30 सालों से भी अधिक समय तक लूटकर अवैध रूप से जमा की गई है। मेरा सवाल है: कब तक राज्य के संस्थान इसकी अनुमति देते रहेंगे?”
आगे ट्वीट करते हुए इमरान खान ने लिखा, “हमारे देश के साथ मेरी बातचीत और हकीकी आजादी के लिए मेरे आह्वान पर उनकी प्रतिक्रिया के बाद मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि पाकिस्तान के लोगों का सब्र टूट चुका है औरअब वो इन माफियाओं को अपनी लूट और लूट जारी नहीं रखने देंगे। वो समय दूर नहीं है जब श्रीलंका की तरह ही हमारी जनता भी सड़कों पर आ जाएगी।”
इमरान खान की मेमोरी लॉस हुई है- शाहबाज
इमरान खान के ट्वीट के बाद प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ कैसे पीछे रहते? उन्होंने भी ट्वीट कर इमरान खान पर एक के बाद एक वार किये। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “इमरान नियाज़ी मेमोरी लॉस के बाद से कुछ ही चीजें याद हैं। पहला, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, उनके शासन में भ्रष्टाचार बढ़ा। बड़े घोटालों के अलावा ट्रांसपेरेंसी/पोस्टिंग भी बिक्री पर थे। दूसरा, किस तरह से उन्होंने अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया जसकी कीमत देश की जनता चुका रही है।”
पाक पीएम ने आगे लिखा, “तीसरा, इमरान नियाज़ी ने देश की वैश्विक प्रतिष्ठा और स्थिति और मित्र देशों के साथ उसके संबंधों को खराब किया है। चौथा, उन्होंने सत्ता के लिए अपनी वासना में संतुलन की भावना खो दी है, जो कि झूठ, प्रोपेगेंडा और झूठे तथ्यों से साफ जाहिर है।”