जातीय जनगणना की मांग अब एक सियासी मुद्दा बनता जा रहा है। एक ओर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 27 मई को सर्वदलीय बैठक बुलाई है, वहीं बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्पलॉयीज फेडरेशन (BAMCEF) ने भारत बंद का आह्वान किया है, जिसका कई संगठनों ने समर्थन किया है। हालांकि किसी बड़े राजनीतिक दल ने इस बंद का अभी तक समर्थन नहीं किया है। भारत बंद का आह्वान केंद्र सरकार के उस फैसले के बाद किया गया है जिसमें सरकार ने कहा है कि वह जाति आधारित जनगणना नहीं कराएगी।
– चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल को खत्म करे।
– एससी/एसटी/ओबीसी के लिए निजी क्षेत्र में भी आरक्षण मिले।
– पुरानी पेंशन योजना की बहाली हो।
– मध्य प्रदेश और ओडिशा पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण में अलग से निर्वाचक मंडल हो।
टीकाकरण को अनिवार्य नहीं बनाया जाए।
– पर्यावरण संरक्षण के नाम पर आदिवासी आबादी को विस्थापन न किया जाए।
बिहार, यूपी में बंद का ज्यादा हो सकता है असर
बिहार और यूपी में बंद का असर ज्यादा देखने को मिल सकता है, क्योंकि यहां की राजनीतिक पार्टियां बहुत पहले से ही जातीय जनगणना कराने की मांग कर रही हैं। बिहार के मुख्यमंत्री ने तो 27 मई को इसके लिए सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है। इसके साथ ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी इसको लेकर काफी लंबे समय से मांग कर रहे हैं। इसके साथ यूपी में समाजवादी पार्टी भी जातिगत जनगणना व ईवीएम पर रोक लगाने की मांग कर रही है। इसलिए इस बंद का असर यूपी में देखने को मिल सकता है। हालांकि अभी किसी बड़ी राजनीतिक पार्टी ने इस बंद का समर्थन नहीं किया है।