गेहूं के बाद अब भारत सरकार गेहूं के निर्यात को मुक्त से प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिया है। जैसी की आशंका जताई जा रही थी, स्थानीय स्तर पर कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने आज चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। जारी नोटिफिकेशन के अनुसार सरकार ने व्यापारियों से कहा है कि 1 जून से 31 अक्टूबर तक चीनी की विदेशी बिक्री की के लिए पूर्व अनुमति ली जाए। बता दें, नोटिफिकेशन के अनुसार यह कदम मुख्य रूप से घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता में सुधार लाने और कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए है।
यहां यह ध्यान देने योग्य है कि सीएक्सएल और टीआरक्यू के तहत इन दो क्षेत्रों में एक निश्चित मात्रा में चीनी का निर्यात किया जाता है।
मौजूदा सीजन में पहले ही हो चुके 90 मीट्रिक टन के सौदे
बता दें , चीनी निर्यात पर प्रतिंबध का ताजा फैसला चीनी के रिकॉर्ड निर्यात की पृष्ठभूमि में आया है। चीनी सीजन 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में, केवल 6.2 एलएमटी, 38 एलएमटी और 59.60 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया था।
हालांकि, चीनी सीजन 2020-21 में 60 एलएमटी के लक्ष्य के मुकाबले लगभग 70 एलएमटी का निर्यात किया गया। चालू चीनी सीजन 2021-22 में लगभग 90 एलएमटी के निर्यात के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं, चीनी मिलों से लगभग 82 एलएमटी चीनी निर्यात के लिए भेजी जा चुकी है। इस तरह चालू चीनी सीजन 2021-22 में चीनी का निर्यात ऐतिहासिक रूप से सबसे ज्यादा है।
इस तरह से सरकार का ये निर्णय यह सुनिश्चित करेगा कि चीनी सीजन (30 सितंबर 2022) के अंत में चीनी का क्लोजिंग स्टॉक 60-65 एलएमटी बना रहे जो घरेलू उपयोग के लिए आवश्यक 2-3 महीने का स्टॉक ( मासिक आवश्यकता लगभग 24 एलएमटी है)। बता दें, नए सीजन में पेराई कर्नाटक में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में, महाराष्ट्र में अक्टूबर से नवंबर के अंतिम सप्ताह में और उत्तर प्रदेश में नवंबर में शुरू होती है। इसलिए आम तौर पर नवंबर तक चीनी की आपूर्ति पिछले साल के स्टॉक से होती है।
इसलिए , चीनी के निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि और देश में चीनी के पर्याप्त भंडार को बनाए रखने की आवश्यकता के साथ-साथ चीनी की कीमतों को नियंत्रण में रखते हुए देश के आम नागरिकों के हितों की रक्षा करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने इसे विनियमित करने का निर्णय लिया है। अब , चीनी मिलों और निर्यातकों को चीनी निदेशालय, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग से निर्यात रिलीज ऑर्डर (ईआरओ) के रूप में अनुमोदन लेने की आवश्यकता होगी।