गमाखर गांव में पहाड़ी में प्राकृतिक रुप से प्रकट मंदिर में भगवान भोले के दर्शन और पूजन के लिए पिछले सालों की अपेक्षाकृत बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। मंदिर का जीर्णोद्धार कराए जाने के कारण उसकी भव्यता काफी बढ़ जाने से श्रद्धालुओं का आकर्षण बढ़ता जा रहा है। राजस्थान सिंकदरा के शिल्पकारों ने मंदिर के बाहरी आकार को बदल कर नया आकार दिया है। यहां श्रद्धालुओं ने गर्भगृह में ही पूजन अभिषेक किया।
इस साल मंदिर के गर्भ ग्रह को फूलों से सजाया गया। शिवलिंग का भी श्रृंगार किया गया। भीड़ को देखते हुए मंदिर के बाहर एलईडी लगाकर शिवलिंग दर्शन कराए गए। ऐसा माना जाता है कि जब विदिशा का राज भगवान श्रीराम ने शत्रुघ्न को सौंपा। शत्रुघ्न के दो पुत्र थे। इनमें सुबाहु छोटा था। इसे विदिशा का शासक नियुक्त किया था। उसने राज्य भ्रमण के दौरान गमाखर के शिव मंदिर मे शिव अभिषेक किया था।
शिव मंदिर की पहाड़ी के आस पास दूर दूर तक कहीं कोई पहाड़ या पहाड़ी नहीं है। इसको ध्यान से देखने पर शिव दर्शन होते हैं। आज भी मंदिर के आस पास पुरातात्विक सामग्री यंत्र तंत्र बिखरी पड़ी है। कई प्राचीन मूर्तियों के अवशेष पहाड़ी के आसपास मौजूद हैं।