Wednesday, September 24

विदिशा में ब्लड की कमी:200 यूनिट का होना चाहिए स्टाक, ब्लड बैंक के पास सिर्फ 10 प्रतिशत, शिविर न लगने से ब्लड की आई कमी

बिना एक्सचेंज के 28 दिन में लग चुका 112 यूनिट ब्लड

वैसे तो विदिशा की ब्लड बैंक में खूनी की कमी नहीं रहती और न ही यहां पर रक्तदान करने वालों की कमी है, लेकिन मौजूदा दौर में सरकारी अस्पताल में स्थित ब्लड बैंक इन दिनों ब्लड की कमी से जूझ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण पिछले कई दिनों से कोई भी बड़ा रक्तदान शिविर न लगना बताया गया। वहीं दूसरा बड़ा कारण कोरोना के चलते भी लोग ब्लड बैंक में रक्तदान करने नहीं पहुंच रहे हैं। जिसके चलते ब्लड बैंक में खून की बनी हुई है। इमरजेंसी में जहां करीब 200 यूनिट का स्टाक होना चाहिए। हालत यह है कि वर्तमान में यहां पर 20 यूनिट के आसपास ही ब्लड का स्टाक है, जो बहुत इमरजेंसी के लिए रखा है। बताया गया कि रक्तदान के शिविरों के जरिए ही ब्लड बैंक में ब्लड का इंतजाम हो पाता है कि इसके अलावा कई मौकों पर लोग स्वेच्छा से रक्तदान करने आते हैं। पिछले साल जहां रक्तदान के जरिए 1368 यूनिट ब्लड का इंतजाम हुआ था।

थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को लगता है हर महीने 150 यूनिट रक्त

ब्लड बैंक से मिली जानकारी के अनुसार थैलेसीमिया के मरीजों को ब्लड बैंक की तरफ से ही फ्री यानि की बिना एक्सचेंज के ब्लड दिया जाता है। एक जनवरी से अभी तक 112 यूनिट ब्लड बच्चों को दिया जा चुका है। यहां पर ब्लड़ के लिए रायसेन, सागर, शुजालपुर सीहोर समेत अन्य जिलों से पीड़ित बच्चे ब्लड के लिए आते हैं। कई ऐसे बच्चे हैं जिनको महीने में दो बार ब्लड की जरूरत होती है। यहां पर करीब 60 बच्चे ब्लड के लिए आते हैं। सिविल सर्जन संजय खरे ​​​​​​ ने बताया कि प्रसूताओं के लिए, हादसे में घायल मरीजों के लिए या फिर इंजरजेंसी में भर्ती मरीज के लिए भी बिना एक्सचेंज के ब्लड दिया जाता है। समय-समय ब्लड कैंप लगाए जाते है ताकि ब्लड की कमी न हो

15 में से 5 कर देते हैं इंकार

ब्लड बैंक में तैनात लैब टेक्निशियन पवन सोनी का कहना है कि मरीज को ब्लड की जरूरत होती है तो उनके परिजन ब्लड के लिए आते हैं। सबसे पहले उनसे ही कहा जाता है कि पहले मरीज के परिजन अपने मरीज के लिए रक्तदान करें इसके बाद दूसरों की मदद लेना चाहिए। लेकिन अधिकांश लोग डर के चलते रक्तदान करने के लिए राजी नहीं होते हैं। औसत 15 में से 5 लोग वापस लौटकर ही नहीं आते हैं। ऐसे मरीज के लिए ब्लड बैंक से ही व्यवस्था करना पड़ती है।