कृषि मंडी मिर्जापुर में पॉलीथिन से ढंककर रखा है धान
मार्कफेड और वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के अफसरों की लापरवाही के कारण तीन साल से 930 मीट्रिक टन से ज्यादा धान कृषि उपज मंडी मिर्जापुर में बने ओपन कैप में रखा हुआ है। इसकी कीमत करीब 1 करोड़ 67 लाख रुपए है। इसमें से कुछ धान तीन साल तो कुछ पिछले साल की भी है। इसको अब मील में नहीं भेजा सकता, लिहाजा अब इसे नीलाम करने की तैयारी है। बर्बाद हुई धान वर्ष 2018-19, 2019-20 और साल 2020-21 की है। इसे सरकार ने अलग-अलग सालों में समर्थन मूल्य पर खरीदा था। समय रहते इस धान के लिए अनुबंध नहीं किया। धान का भंडारण गोदाम के बजाय ओपन कैप में ही कर दिया। समय पर नहीं उठाए जाने से खराब हो गया।
मार्कफेड को लगातार पत्र लिखे : वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के मंडी शाखा प्रबंधक केएस गंगेले का कहना है कि ढाई से तीन साल से धान रखा हुआ है। काफी मात्रा में धान खराब हो चुका है। मार्कफेड के अधिकारियों को लगातार पत्र भेजे गए हैं। ओपन कैप में ढाई से तीन महीने तक धान को रखा जाता है लेकिन यहां तीन साल से रखा हुआ है।
ढंकी गई प्लास्टिक खराब हाेने से सड़ गया धान
अफसरों के अनुसार ओपन कैप में धान को ढाई से तीन महीने के लिए रखा जाता है। ओपन कैप में धान को प्लास्टिक से ढंक दिया जाता है। प्लास्टिक तेज गर्मी और बारिश में खराब हो जाती है। विदिशा कृषि उपज मंडी में रखी धान की सुरक्षा का जिम्मा वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के पास है। अधिकारियों का कहना है कि साल में दो से तीन बार प्लास्टिक बदली गई है। इसके बाद भी धान काफी मात्रा में खराब होकर सड़ने लगा है।
14 जनवरी को होना है टेंडर, इसके बाद होगी धान की नीलामी
मार्कफेड के डीएमओ किरण झाड़े का कहना है कि प्रदेश में कई जगह इस तरह ओपन कैप में धान रखा हुआ है। विदिशा में वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन की जिम्मेदारी में रखा गया है। इस संबंध में अधिकारियों को पत्र भेजे हैं। 14 जनवरी को धान की नीलामी की जाएगी। नीलामी के बाद धान को ओपन कैप से हटा दिया जाएगा।
बारिश के बाद खुली पोल कई जगह पानी भरा
शहर में मंगलवार को बारिश हुई थी। बारिश का पानी मंडी के ओपन कैप में भर गया। वहीं कई जगह से धान पानी में बह गया। यह लोगों ने देखा। अफसरों को भी इस बात का पता है लेकिन इसकी सुरक्षा नहीं की गई। बुधवार को वेयर हाउसिंग कर्पोरेशन के कर्मचारी ओपन कैप में काम करते दिखे लेकिन वे ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। ओपन कैप की प्लास्टिक कई जगह से फट चुकी है, इसलिए अंदर पानी पहुंच गया।