गंजबासौदा| जिसदिन भगवान ह्दय में प्रगट हो जाए उसी दिन समझ लेना कि नंद उत्सव हो गया। ईश्वर निष्क्रिय है। भक्तों की इच्छानुसार क्रिया करता है। क्रिया माया है। कर्म क्रिया के अनुसार फल देता है। अत: भगवान की प्राप्ति के लिए कर्म करना है। नौलखी मंदिर में चल रही भागवत कथा होली उत्सव के चौथे दिन नंद उत्सव एवं बाल लीला का वर्णन करते हुए पंडित केशव गुरु ने यह बात कही।
पं. केशव गुरु ने बताया कि कृष्ण जन्म व्यापक शब्द है। वास्तव में प्रकट जगत ही जिनका निवास है वह जगन निवास नारायण सबके हृदय में हैं लेकिन उन्हें प्रकट करना है। इसलिए कि जब तक वे प्रकट नही होंगे अशांति नहीं जाएगी। सबको सुख शांति, आनंद यह इच्छा स्वरूप से ही प्रकट होती है। नित्य आत्मा है जो परमात्मा स्वरूप ही है। आत्मा में भगवान को प्रकट करना ही नंद उत्सव है।