Tuesday, September 23

MP में पंचायत चुनाव पर रोक नहीं:जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर में लगी याचिकाओं पर एक साथ हुई सुनवाई, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर सरकार का निर्णय ही मान्य होगा

राज्य में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण प्रक्रिया को लेकर प्रदेश भर में लगाई गई याचिकाओं पर गुरुवार 09 दिसंबर को एक साथ सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डबल बेंच ने चुनाव पर रोक लगाने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ग्वालियर खंडपीठ ने स्टे देने से पहले ही मना कर दिया था, तो बेंच बदलने से क्या होगा। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एवं राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा ने सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण ले जाने की बात कही है।

गुरुवार 9 दिसंबर को एक साथ पंचायत चुनाव को लेकर दायर याचिकाओं की सुनवाई हुई। हाईकोर्ट में याचिका के जरिए जिला, जनपद और ग्राम पंचायत चुनाव में आरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना व मनमाने प्रावधानों को चुनौती देते हुए स्टे लगाने की मांग की गई थी।

मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने पिछले सोमवार को ही नौ नवम्बर को अन्य याचिकाओं के साथ इस मामले की सुनवाई की व्यवस्था दी थी। इस मामले में पूर्व में अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव, पंचायत राज संचालनालय के आयुक्त सह संचालक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर ने दायर की थी याचिका

वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर की ओर से दायर याचिका में पंचायत चुनाव कराने को लेकर वर्षगत आधार पर चुनौती दी गई थी। वहीं, पुरानी याचिकाओं में कहा गया था कि राज्य सरकार ने 21 नवंबर 2021 को अधिसूचना जारी कर आगामी पंचायत चुनाव में 2014 के आरक्षण रोस्टर के आधार पर चुनाव कराने की घोषणा की है। इसके पहले 2019-20 में पंचायत चुनाव का आरक्षण निर्धारित कर दिया गया था।

सिंगरौली के लल्ला प्रसाद ने राज्य सरकार के अधिसूचना को चुनौती दी थी

दरअसल, राज्य सरकार ने आरक्षण के पुरानी व्यवस्था के आधार पर चुनाव कराने का निर्णय लिया है। इस अधिसूचना को सिंगरौली के देवसर निवासी लल्ला प्रसाद वैश्य ने याचिका दायर कर चुनौती दी थी। उनकी दलील थी कि सरकार ने 2019-20 का पंचायत चुनाव का रोस्टर निरस्त किए बिना ही नई अधिसूचना जारी कर दी है, जो कि अवैधानिक है। अब नई अधिसूचना के कारण इन पंचायतों का आरक्षण रोस्टर पुन: बदल जाएगा। याचिका में मांग की थी कि या तो राज्य सरकार की अधिसूचना को निरस्त किया जाए या फिर नए सिरे से आरक्षण निर्धारित किया जाए।

नए आरक्षण की बजाए 2014 के आरक्षण पर चुनाव कराना संविधान का उल्लंघन बताया था

नरसिंहपुर निवासी संदीप पटेल और भोपाल निवासी मनमोहन नागर ने भी याचिका दायर की थी कि याचिकाओं में 7 साल पुराने परिसीमन और आरक्षण पर चुनाव करवान संविधान का उल्लंघन है। सीनियर एडवोकेट और कांग्रेस लीडर विवेक तन्खा कोर्ट में कहा कि ये संविधान की धारा 243 C और D का मप्र सरकार द्वारा किया गया स्पष्ट उल्लंघ है।

जबलपुर, ग्वालियर व इंदौर में लंबित थी याचिकाएं

दरअसल, पंचायत चुनाव को लेकर ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर में अलग-अलग याचिकाएं लगाई गई थीं। सभी याचिकाओं में आरक्षण की प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी। इस कारण चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने सभी याचिकाओं को एक साथ 9 दिसंबर को सुनवाई का निर्णय लिया था। सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने पक्ष रखा।