
भारत सरकार ने घोषणा की है कि वो अपने स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम रिजर्व में से 50 लाख बैरल रिलीज करेगी। उम्मीद है कि इससे देश में पेट्रोल-डीजल की की कीमतों में कमी आ सकती है। भारत से पहले अमेरिका भी इसी तरह का फैसला ले चुका है। आने वाले दिनों में कई और देश ये फैसला ले सकते हैं।
भारत की इस घोषणा के बाद से ही स्ट्रैटजिक रिजर्व चर्चा में है। आइए समझते हैं, स्ट्रैटजिक रिजर्व क्या होता है? भारत के स्ट्रैटजिक रिजर्व कहां-कहां पर हैं? इन रिजर्व में कच्चे तेल को कैसे स्टोर किया जाता है? और क्या इस फैसले से आपकी जेब को राहत मिल सकती है?…
सबसे पहले जानते हैं स्ट्रैटजिक रिजर्व क्या होता है?
आसान भाषा में समझें तो ये आपातकालीन स्थिति में देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कच्चे तेल का स्टॉक है। युद्ध या किसी और वजह से कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित होने पर इन रिजर्व में से देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जाता है। आपातकालीन स्थिति के अलावा इन रिजर्व्स का इस्तेमाल तेल की कीमतों को कंट्रोल करने के लिए भी किया जाता है।
भारत अपनी जरूरत का 83% कच्चा तेल दूसरे देशों से इम्पोर्ट करता है इसलिए किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए भारत ने भी कच्चे तेल को रिजर्व कर रखा है। इस रिजर्व का इस्तेमाल केवल इमरजेंसी सिचुएशन में ही किया जाता है।
भारत के स्ट्रैटजिक रिजर्व कहां-कहां पर है?
भारत ने पहले फेज के तहत विशाखापटनम, मंगलौर और उडुपी के पास पादुर में स्ट्रैटजिक रिजर्व बनाए थे। इन तीनों रिजर्व में 50 लाख मीट्रिक टन कच्चा तेल स्टोर किया जा सकता है। इन रिजर्व को ऑपरेट करने का जिम्मा इंडियन स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम रिजर्व्स लिमिटेड (ISPR) को दिया गया है, जो कि पेट्रोलियम मिनिस्ट्री के अंडर ही काम करता है।
वित्त वर्ष 2017-18 में सेकंड फेज के तहत भारत ने ओडिशा के चंडीखोल और राजस्थान के बीकानेर में दो और स्ट्रैटजिक रिजर्व बनाने का फैसला लिया था। भारत के स्ट्रैटजिक रिजर्व्स के स्टॉक से करीब 10 दिन तक देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।
भारत ने अपने स्ट्रैटेजिक रिजर्व को इन्हीं जगहों पर क्यों बनाया?
भारत के सभी स्ट्रैटजिक रिजर्व को रणनीति के तहत पूर्वी और पश्चिमी समुद्री किनारों पर बनाया गया है।
- पड़ोसी देशों से युद्ध की स्थिति में पूर्वी और पश्चिमी इलाके उत्तरी इलाकों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित है।
- ज्यादातर ऑइल रिफाइनरी भी पूर्वी और पश्चिमी इलाकों में समुद्री किनारे पर हैं, क्योंकि ऑइल रिफाइनरी और स्ट्रैटजिक रिजर्व को एक-दूसरे से कनेक्ट रखा जाता है इसलिए भी रिजर्व को इन इलाकों में बनाया गया है।
- कच्चे तेल को स्टोर करने के लिए समुद्री इलाके ज्यादा अनुकूल हैं, क्योंकि वहां पानी की वजह से जमीन के भीतर तापमान कम होता है।
आखिर इतने ज्यादा कच्चे तेल को स्टोर कैसे किया जाता है?
आपके मन में ख्याल आ रहा होगा कि इतने ज्यादा कच्चे तेल को किस तरह स्टोर किया जाता है। आइए जानते हैं, भारत और दुनियाभर के देश कैसे अपने स्ट्रैटजिक रिजर्व्स को स्टोर करते हैं…
- भारत अपने स्ट्रैटजिक रिजर्व्स को रॉक कैवर्न्स में स्टोर करता है। रॉक कैवर्न्स यानी चट्टानों के भीतर गुफानुमा स्टोरेज। इसमें चट्टानों को तोड़कर गुफानुमा स्टोरेज बनाया जाता है, जिसमें कच्चा तेल स्टोर होता है। कच्चे तेल को स्टोर करने का ये तरीका दुनियाभर में सबसे सुरक्षित माना जाता है।
- अमेरिका अपने स्ट्रैटजिक रिजर्व्स का कच्चा तेल सॉल्ट डोम में स्टोर करता है। सॉल्ट डोम यानी जमीन के 2-4 हजार फीट नीचे चट्टानों के बीच के नमक को निकालकर खाली जगह में कच्चा तेल स्टोर करना। चट्टानों के बीच में से ‘सॉल्यूशन माइनिंग’ नामक प्रॉसेस के जरिए पहले नमक को बाहर निकाला जाता है। फिर खाली जगह को फ्रेश वॉटर से पूरी तरह साफ कर लिया जाता है। कच्चा तेल मजबूत चट्टानों के बीच स्टोर रहता है। जमीन के नीचे होने की वजह से वहां का तापमान भी कम होता है। अमेरिका के ज्यादातर स्ट्रैटजिक रिजर्व्स मैक्सिको की खाड़ी के आसपास हैं।
- लायोनिंग, शेंडोंग और जेझियांग में चीन के स्ट्रैटजिक रिजर्व है। ये सभी समुद्री किनारों में हैं। चीन अपने रिजर्व कच्चे ऑइल को समुद्र से जुड़े इलाकों में जमीन के नीचे स्टोर करता है। कच्चे तेल को चट्टानों के बीच भरकर रखा जाता है।
इस फैसले से क्या सस्ता हो सकता है पेट्रोल-डीजल?
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक अगर कच्चे तेल की घटती कीमतों का फायदा पेट्रोलियम कंपनियां आम लोगों को देती हैं तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों में प्रति लीटर 2 से 3 रुपए तक की कमी हो सकती है। हालांकि, अगर आने वाले दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है तो कीमतों का कम होना मुश्किल हो जाएगा। कच्चा तेल अभी 80 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कारोबार कर रहा है।
स्ट्रैटजिक रिजर्व से निकालकर कच्चा तेल कहां जाएगा?
भारत के पास फिलहाल करीब 3.8 करोड़ बैरल कच्चे तेल का स्टॉक है। इसी स्टॉक में से 50 लाख बैरल रिलीज किया जाएगा। इस स्टॉक को मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (MRPL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड (HPCL) को बेचा जाएगा। ये दोनों रिफाइनरी पाइपलाइन के जरिए स्ट्रैटेजिक रिजर्व से जुड़ी हैं। ये रिफाइनरी कच्चे तेल की रिफाइन कर मार्केट में लेकर आएंगी।