Saturday, October 25

स्कूली वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चे:पालकों की मजबूरी का फायदा उठा रहे चालक, जान जोखिम में

स्कूल तक आने-जाने का दोगुना किराया देने के बाद भी बच्चों का सफर असुरक्षित

18 महीने बाद जैसे स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ रही है। कक्षाएं प्रारंभ हो रही हैं दूसरी और पालकों की आर्थिक समस्या बढ़ रही है। विद्यार्थियों को स्कूल लाने ले जाने वाले वाहनों का किराया दोगुना भुगतान करना पड़ रहा है। इसके बावजूद वाहन चालक सुरक्षा नियमों को दर किनार कर दस बच्चों की क्षमता वाले वाहन में 15 से 20 बच्चे भर कर ले जा रहे हैं। नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।

इसके लिए वह महंगाई और डीजल पेट्रोल की बढ़ती कीमतों का हवाला दे रहे हैं। एक ओर प्राइवेट स्कूलों की भारी भरकम फीस और दूसरी ओर उतना ही वाहन किराया पालकों को अब परेशानी का कारण बन रहा है। नगर के ट्रैफिक हालातों को देखते पालक बच्चों को साइकिल या स्कूटी से स्कूल भेजना का जोखिम नहीं लेना चाहते। इससे उनको वाहनों से बच्चों को स्कूल भेजना मजबूरी हो गया है।

इसी मजबूरी का फायदा चालक उठा रहे हैं। इसी बीच कोरोना काल में विद्यार्थी वाहन बंद होने से कई चालकों ने अपना व्यापार ही बदल लिया। उनके स्थान पर अधिकांश नए आ गए लेकिन इनकी जानकारी न पुलिस के पास है और न स्कूलों के पास जो गंभीर चिंता का विषय है।

वाहन चालक को यह कागज जरूरी
नया शिक्षा सत्र शुरू हो गया है लेकिन अभी तक स्कूलों की ओर से वाहन व चालकों की जानकारी नहीं दी गई। यातायात पुलिस ने नगर के सभी स्कूलों को पूर्व में नोटिस जारी किए थे। उसमें वाहनों की सूची, रजिस्ट्रेशन, बीमा, फिटनेस प्रमाण पत्र, चालक के लाइसेंस की छाया प्रति जमा करने को कहा है। इससे वाहनों की जानकारी रहे। उनकी समय समय पर जानकारी रहे। चालक का चरित्र व रिकार्ड की जानकारी कराई जा सके।

वाहनों पर विद्यार्थी वाहन लिखवाना जरूरी
स्कूलों के विद्यार्थी को लाने ले जाने वाले वाहनों पर बोर्ड लगा होना चाहिए। आगे और पीछे बड़े अक्षरों में विद्यार्थी वाहन लिखवाना जरूरी है। इससे पता चले कि यह स्कूल के लिए कार्य करता है। वर्तमान में ऐसे वाहनों को चिन्हित करना मुश्किल हो रहा है जो बच्चों को लाते ले जाते हैं। कौन सवारियों को ढोते हैं। खास कर मैजिक, ऑटो और रिक्शा हैं इनकी पहचान नहीं है। इस दिशा में ट्रैफिक पुलिस भी अनदेखी कर रही हैं।

वाहन चालकों से बैठक कर की जाएगी चर्चा

  • नियमों को ताक में रखकर किसी को भी वाहन संचालन की इजाजत नहीं है। जल्द स्कूली वाहन चालकों की बैठक बुलाई जाएगी। नियमों को पालन कराया जाएगा। किराए पर भी चर्चा की जाएगी। – रीतेश बाघेला, यातायात प्रभारी गंजबासौदा।

न्यायालय के वाहनों के लिए यह दिए थे निर्देश
सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2012 में निर्देश जारी किए हैं। विद्यार्थियों को ढोने वाले वाहन के आगे पीछे स्कूल बस दर्ज कराएं, किराए पर चलने वाले वाहन पर स्कूल सेवा दर्ज कराएं। निर्धारित सीटों से ज्यादा बच्चों न बैठाएं। फस्ट एड बाक्स रखें। खिड़कियों में ग्रिल लगाएं। सिटकनी कुंडी सुरक्षित हो। बस्ते रखने की अलग जगह हो। चालक को पांच वर्ष का अनुभव हो। वाहन में योग्य व्यक्ति अलग रखा जाए। स्कूल के शिक्षक की व्यवस्था अलग वाहन में हो। नियमों का पालन न करने पर सख्त कार्रवाई की जाए।

कईयों के पास तो लायसेंस और बीमा तक नहीं
नगर में स्कूली और यात्री वाहनों की पहचान करना मुश्किल है। सुबह स्कूल के बच्चों को लाते ले जाते हैं। शेष समय सवारी वाहन बन जाते हैं। चाहे स्कूली बच्चे हो या फिर सवारियां क्षमता से डेढ़ व दोगुनी बैठाते हैं। इनको नियम निर्देशों की कभी परवाह नहीं होती। इन पर लायसेंस, बीमा तक नहीं है। इनकी जांच भी होनी चाहिए।