
भोपाल। होशंगाबाद विधायक डॉ. सीताशरण शर्मा को सर्वसम्मति से चौदहवीं विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे सहित अन्य सदस्यों ने समर्थन किया। चयन होने के बाद मुख्यमंत्री न्रता प्रतिपक्ष और संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा डॉ. शर्मा को आसंदी तक ले गए। अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद डॉ. शर्मा ने बताया कि वे पेशेंस, बैलेंस और थ्री डी यानी डिवेट, डिस्कशन और डिसीजन के फार्मूले से सभी का सहयोग लेकर सदन चलाएंगे। विधानसभा अध्यक्ष चुने जाने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. शर्मा सदन के स्वाभाविक अध्यक्ष हैं। जब इस पद के लिए नामों की चर्चा हुई तो पक्ष और प्रतिपक्ष सबने एक स्वर में उनका नाम लिया। यह सदन ईट-गारों से बना भवन नहीं बल्कि लोकतंत्र का मंदिर है। इसके संचालन का दायित्व अब डॉ. शर्मा के हाथ में है। नेता प्रतिपक्ष कटारे ने कहा कि सदन में नियम और परंपराओं के अनुरूप काम हो, इसकी जिम्मेदारी अब अध्यक्ष की है। पिछले कुछ समय में लोकतांत्रिक मूल्यों का अवमूल्यन हुआ है। बैठकें काफी सिमट गई हैं जबकि इस दिन अशासकीय कार्य संपादित होते हैं। विधायकों की इज्जत घटती जा रही है। हमने बैठकों की संख्या भी घटा दी है। एक साल में कम से कम 75 बैठकें होनी चाहिए। सत्र बीच में समाप्त न हो। यह सत्र भी तय अवधि 17 तारीख तक चले। पवई विधायक मुकेश नायक ने कहा कि कांग्रेस को जनता ने सरकार को जगाने का दायित्व सौंपा है। अध्यक्ष के संरक्षण की जरूरत हम सभी को है। हमें आशंका है कि सत्ता के मद में सरकार निरंकुश न हो जाए। यदि ऐसा हुआ तो हम होश में लाने का काम करेंगे। डॉ. शर्मा ने अपने पहले अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि जो महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया है उस पर खरा उतने का पूरा प्रयत्न होगा। निष्पक्षता के साथ परंपराओं का पालन किया जाएगा। जनता ने जिस विश्वास के साथ आप सभी को चुनकर लोकतंत्र के इस मंदिर में भेजा है, यहां उनकी समस्याओं को उठाकर निराकरण का मार्ग प्रशस्त करेंगे। सभी अपने अहंकार को भूलें और जनता को याद रखें। राष्ट्रपति के पश्चिम बंगाल की विधानसभा के स्वर्ण जयंती समारोह में दिए भाषण का जिक्र करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र थ्री डी यानी डिबेट, डिस्कशन और डिसीजन से ही चलता है। इन सबका माध्यम सदन ही है। नेता प्रतिपक्ष कटारे ने कहा कि विधायकों को अब सूटकेस दिए जाते हैं। जबकि, पहले कॉल और शकधर की संसदीय प्रक्रियाओं से जुड़ी किताबें दी जाती थीं। इस पर ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने पाइंट ऑफ ऑडर के जरिए अपनी आपत्ति जताई।