Tuesday, September 23

विराेध-प्रदर्शन:कांग्रेस के डर से नगर पालिका प्रशासन ने मवेशियों को घेर कर किया शहर से बाहर

जनपद पंचायत के प्रांगण में गोमाता का पूजन कर माला पहनाकर वहीं छोड़ दिया

कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा शहर की सड़कों से आवारा मवेशियों को घेरने से पहले ही नगर पालिका के कर्मचारी अधिकारियों ने उनको घेर कर शहर की सीमा से बाहर छोड़ दिया। नगर में आवारा मवेशियों की समस्या से परेशान नागरिकों की आवाज प्रशासन तक पहुंचाने के लिए गुरुवार को कांग्रेस द्वारा आयोजन किया गया था। इस आयोजन के तहत कार्यकर्ताओं के अलग-अलग दल बनाकर आवारा मवेशियों को घेरकर जनपद पंचायत प्रांगण में छोड़ने का प्लान था। जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं के दल शहर के चारों ओर मवेशियों को घेरने पहुंचे तो उनको काफी कम संख्या में मवेशी मिले। उनको घेर कर जनपद कार्यालय लाए। कांग्रेस जिलाध्यक्ष निशंक जैन ने पूजन करने के बाद उनको प्रांगण में छोड़ दिया।

पूजन करने बाद दिया ज्ञापन : पूर्व विधायक ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ जनपद पंचायत प्रांगण में गो माता का पूजन किया। आरती उतार कर पुष्प माला पहनाई। इसके पश्चात प्रांगण में ही छोड़ दिया। इस मौके पर कांग्रेस द्वारा राज्यपाल के नाम जनपद पंचायत सीईओ अरविंद शर्मा को ज्ञापन दिया गया। इसमें कहा गया कि कमलनाथ सरकार द्वारा शपथ लेने के बाद सबसे पहले पंचायत स्तर पर गोशाला निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। प्रत्येक गाय के मान से 17 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से हरा चारा या भूसा देने की स्वीकृति दी लेकिन गो माता के नाम पर वर्तमान सरकार तीन बार सत्ता में आने के बाद गाय को भूल गई। उसे गो माता चुनाव के दौरान ही याद आती है। सत्ता में आने के बाद भूल जाती है। कुछ नवीन गोशालाएं उद्घाटन के नाम पर तो कुछ चारा और भूसा नहीं मिलने के कारण बंद पड़ी हैं।

तीन साल पहले तहसील में छोड़े थे

3 साल पहले भी कांग्रेस ने पूर्व विधायक के नेतृत्व में शहर की सड़कों से आवारा मवेशियों को घेरकर तहसील प्रांगण में छोड़ दिया था। इसी के चलते नगर पालिका कर्मचारियों को अंदेशा था कि फिर से कांग्रेस कार्यकर्ता जनपद पंचायत के स्थान पर तहसील कार्यालय में मवेशियों को ना छोड़ दें। वर्तमान में खरीफ फसल को बचाने के लिए गांव के लोग भी शहर की सीमा में मवेशी छोड़ जाते हैं ।

नगर में यह है स्थिति.. कुल 5 गोशालाएं, इनमें 2 प्राइवेट

नगर में कुल 5 गोशालाएं हैं। इनमें से दो प्राइवेट और सरकार से अनुदान मुक्त हैं लेकिन तीन गोशालाएं सरकारी और अनुदान प्राप्त हैं। प्रशासन चाहे तो सरकारी और अनुदान प्राप्त गोशालाओं में इन आवारा पशुओं को रहने की व्यवस्था करा सकती है लेकिन इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया। इस कारण गोशालाएं खाली पड़ी हैं।

आंदोलन का मालूम पड़ते ही नगर पालिका प्रशासन सक्रिय

लगातार मांग करने के बाद भी नगर पालिका द्वारा आवारा गोवंश को घेरने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा था लेकिन जैसे ही जानकारी लगी कि 19 अगस्त को कांग्रेस गोवंश को घेर कर जनपद पंचायत कार्यालय में छोड़ने वाला है। उससे पहले नगर पालिका के दो दर्जन कर्मचारी प्रभारी सीएमओ के साथ सड़कों पर आ गए। उनको घेर कर शहर की सीमा के बाहर छोड़ आए। इससे गोवंश शहर में दिखाई ना दें लेकिन नगर पालिका कर्मचारियों के चंगुल से जो बच गए थे उनको कांग्रेसी हाथों में स्लोगन की तख्ती लेकर चारों ओर से घेर कर लाए।

प्रदर्शन के लिए मिले सिर्फ 5 मवेशी

नटेरन| कांग्रेस द्वारा गुरुवार को आवारा मवेशियों को पकड़ कर जनपद पंचायत प्रांगण में एकत्रित कर प्रदर्शन किया जाना था लेकिन कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को 5 पांच ही आवारा मवेशी मिल सके। क्षेत्र में आवारा मवेशियों की भरमार है लेकिन कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को मवेशी नहीं मिले। कांग्रेस कार्यकर्ता किसी प्रकार 5 मवेशियों को लेकर जनपद पंचायत कार्यालय पहुंचते तो उन्हें मेन गेट बंद होने की वजह से तहसील कार्यालय लेकर वहां तक भी सिर्फ 3 मवेशियों को ही ले जा सके। इस दौरान युवा कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया।

आपस में उलझे कांग्रेसी नेता

कुरवाई| गायों को लेकर तहसील परिसर में किए जा रहे कांग्रेस के प्रदर्शन के बाद स्थानीय एवं बाहरी का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता आपस में उलझ गए। प्रदर्शन के बाद कांग्रेसजन जब तहसील में ज्ञापन देने के बाद बाहर निकले तब पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष हसरुद्दीन खान तथा पूर्व जिला पंचायत सदस्य सुभाष बोहत के समर्थकों के बीच तीखी नोक झोंक होने लगी। एक दूसरे पर असली और नकली कांग्रेसी होने का आरोप लगाने लगे। एक दूसरे को फर्जी और असली कांग्रेसी बताकर आरोप- प्रत्यारोप लगाने लगे। इस दौरान ब्लॉंक कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह दांगी ने दोनों पक्षों के बीच खड़े होकर बीच बचाव किया। घटनाक्रम में एक पक्ष का आरोप था कि वह गायों को घेरकर तहसील तक पहुंचे हैं। दूसरा पक्ष ऐन वक्त पर आकर नेतागिरी करने आ गया।