
- कांग्रेस गठबंधन की सरकार के समय खोले गए थे BSBD अकाउंट
- 28 अगस्त 2014 को भाजपा गठबंधन सरकार ने जनधन अकाउंट की शुरुआत की
सरकारी सेक्टर के बैंक इस समय परेशान हैं। कारण है कि सालों पहले खोले गए 25 करोड़ बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट अकाउंट (BSBD) अब किसी काम के नहीं हैं। जबकि सरकार ने यह कह दिया है कि जो भी डायरेक्ट बेनिफिट का पैसा मिलेगा, वह केवल जनधन खाताधारकों को ही मिलेगा।
25 करोड़ अकाउंट में कोई पैसा नहीं आता है
सरकार के इस फरमान से बैंक परेशान हैं। बैंकों की दिक्कत यह है कि पहले से ही उनके पास 25 करोड़ ऐसे अकाउंट खोले गए हैं। उसमें कोई भी सरकारी पैसा नहीं आता है। जबकि उसका मेंटिनेंस भी बैंकों को करना पड़ता है। हालांकि बैंकों में BSBD अकाउंट वैसे भी खुलता है, पर जब कांग्रेस गठबंधन वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार थी, तब इसी अकाउंट में सरकार की योजनाओं के पैसे आते थे।
2014 तक 25 करोड़ BSBD अकाउंट थे
मई 2014 तक कुल 25 करोड़ BSBD अकाउंट थे। तब तक 65 करोड़ आधार जारी किए जा चुके थे। उसके बाद केंद्र में आई भाजपा गठबंधन की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जनधन योजना लॉन्च की। इस योजना का मकसद था कि सरकारी योजनाओं का जो भी फायदा होगा, वह इसी खाता में आएगा।
सरकार का कोई भी पैसा जनधन खाता में ही आता है
बैंकर्स कह रहे हैं कि अब सरकार की किसी भी योजना का पैसा सिर्फ जनधन अकाउंट में ही आता है। ऐसे में उन 25 करोड़ BSBD अकाउंट को मेंटेन करना बड़ी चुनौती है। साथ ही इसका डुप्लीकेशन भी हो रहा है। चूंकि जनधन में ही पैसे आ रहे हैं, इसलिए BSBD के खाताधारक उस खाता को अब मेंटेन नहीं कर रहे हैं। स्थिति यह भी है कि काफी सारे BSBD के खाताधारक भी जनधन अकाउंट खोले हैं। हालांकि इसमें भी जीरो बैलेंस की ही सुविधा है।
कोरोना में बढ़ गई जनधन खातों की संख्या
कोरोना के आने से अचानक जनधन खातों की संख्या तेजी से बढ़ गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना में 500 रुपए का ट्रांसफर सरकार ने शुरू किया था। 1 अप्रैल 2020 को कुल 38.74 करोड़ जनधन खाते थे। इसमें 1.19 लाख करोड़ रुपए जमा था। 4 अगस्त 2021 तक कुल 42.89 करोड़ जनधन खाते हो गए। जबकि 1 लाख 43 हजार 834 करोड़ रुपए की रकम जमा है। तब से अब तक जमा रकम में 24 हजार करोड़ रुपए की बढ़त हुई है।
सरकारी बैंकों में 34 करोड़ खाता
सरकारी बैंकों के पास तब 30 करोड़ खाते थे जो अब 34 करोड के करीब हैं। इसमें से 5.8 करोड़ खाते इनऐक्टिव है। इसमें से 2 करोड़ खाते महिलाओं के हैं। निजी बैंकों में 1.26 करोड़ खाते हैं। इसमें 4,344 करोड़ रुपए हैं। टॉप के 4 बैंकों की बात करें तो देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के पास 12.97 करोड़ खाते हैं। इसमें 36,622 करोड़ रुपए है। बैंक ऑफ बड़ौदा के पास 5.13 करोड़ खाते हैं। इसमें 18,428 करोड़ रुपए है।
पंजाब नेशनल बैंक के पास 3.94 करोड़ खाते में 15,276 करोड़ रुपए है। बैंक ऑफ इंडिया में 2.57 करोड़ खाते में 9,566 करोड़ रुपए है।
RRB के पास 7.73 करोड़ खाता
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के पास 7.73 करोड़ खाते हैं जिनमें 27,909 करोड़ रुपए है। जनधन के तहत कुल 31 करोड़ रूपे डेबिट कार्ड जारी किया गया है। इसमें से 26.70 करोड़ कार्ड सरकारी बैंकों ने जारी किया है। 23.70 करोड़ खाते महिलाओं के हैं। 28.57 करोड़ खाते अर्ध शहरी और गांवों में है। 14.32 करोड़ खाते शहरों की बैंक शाखाओं में है।
बैंक ऑफ बड़ौदा में 90 लाख खाते बढ़े
जिन बैंकों में खाते की संख्या में तेजी से बढ़त हुई है उसमें बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते में 16 महीने में 90 लाख की बढ़त आई है। 1 अप्रैल 2020 को 4.10 करोड़ खाते थे जो अब 5.1 करोड़ हो गए हैं। SBI के पास 12.47 करोड़ खाते थे जो अब 12.97 करोड़ हो गए हैं। यानी 50 लाख खाते बढ़े हैं। पंजाब नेशनल बैंक के पास 3.82 करोड़ खाते थे। अब यह 3.94 करोड़ हो गया है।
यूनियन बैंक में 2.23 करोड़ खाते
इसी तरह यूनियन बैंक के पास 1.73 करोड़ खाते 1 अप्रैल 2020 को थे। अब यह 2.23 करोड़ हो गया है। जबकि बैंक ऑफ इंडिया के खाते की संख्या 2.33 से बढ़कर 2.57 करोड़ हो गई है। रिजर्व बैंक ने सूचना अधिकार (RTI) के तहत जानकारी दी कि बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट अकाउंट 2010 में 7.35 करोड़ था। 2011 में यह 10.48 करोड़ हो गया, जबकि 2012 में इसकी संख्या 13.85 करोड़ हो गई। 2013 में यह 18.21 करोड तो 2014 में 24.30 करोड़ हो गया।