Tuesday, September 23

करगिल विजय के 22 साल:पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने कहा- युद्धविराम से पहले हमें पाकिस्तानी जमीन पर कब्जा करने की अनुमति मिलनी चाहिए थी

करगिल युद्ध के समय भारतीय सेना के प्रमुख रहे जनरल वीपी मलिक ने 22 साल पहले लड़े गए इस युद्ध को याद करते हुए इससे जुड़ी कई बातें बताईं। उन्होंने कहा कि उस समय हमें पाकिस्तान की कुछ जमीन पर कब्जा करने की अनुमति मिलनी चाहिए थी।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में जनरल मलिक के हवाले से बताया गया है कि करगिल युद्ध में भारतीय सेना का ऑपरेशन विजय राजनीतिक, सैन्य और कूटनीतिक कार्रवाई का मिलाजुला रूप था। हम मुश्किल हालात को बड़ी सैन्य और कूटनीतिक जीत में बदल सके। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने मंसूबों में बुरी तरह नाकाम हुआ था। उसे राजनीति और सेना के मोर्चे पर इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।

भारतीय सेना ने जंग के साथ दुनिया का सम्मान भी जीता
वीपी मलिक ने बताया कि युद्ध के समय भारतीय इंटेलिजेंस दुरुस्त नहीं थी और सर्विलांस का सही सिस्टम मौजूद नहीं था। पाकिस्तान के हमले के बाद भारतीय सेना को संगठित होने और कारगर कदम उठाने में कुछ समय लगा, लेकिन युद्धभूमि में एक के बाद एक मिलने वाली विजय और सफल राजनीतिक-सैन्य रणनीति के दम पर न सिर्फ भारत ने यह जंग जीती बल्कि दुनिया में एक जिम्मेदार देश के रूप में अपनी छवि भी मजबूत की। एक ऐसा देश जो डेमोक्रेटिक है और अपनी सीमाओं की रक्षा भी कर सकता है।

युद्ध शुरू होने से दो महीने पहले पाकिस्तान ने साइन की थी लाहौर संधि
जनरल वीपी मलिक ने बताया कि यह युद्ध भारत-पाकिस्तान के सुरक्षा संबंधों में एक बड़ा मोड़ लेकर आया। हमारा पाकिस्तान से भरोसा उठ गया और देश को यह समझ आया कि पाकिस्तान किसी भी संधि या समझौते से आसानी से पीछे हट सकता है। करगिल में युद्ध छेड़ने से दो महीने पहले ही पाकिस्तान ने लाहौर संधि पर दस्तखत किए थे, जिसमें लिखा था कि भारत और पाकिस्तान हर तरह के युद्ध, खासतौर पर न्यूक्लियर युद्ध को टालने की कोशिश करेंगे।

जनरल मलिक ने आगे कहा कि वायपेयी सरकार इस बात पर भरोसा ही नहीं कर पा रही थी कि घुसपैठिए पाकिस्तान के आम नागरिक नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सेना के जवान हैं। तब प्रधानमंत्री वाजपेयी ने नवाज शरीफ से कहा था कि आपने पीठ में छुरा घोंप दिया।