
हाईकोर्ट और एनजीटी के निर्देश पर आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया की टीम पहुंची थे सर्वे करने, अब करना होगा संरक्षित, पर्यटन का बड़ा केंद्र बन सकता है बक्सवाहा
छतरपुर के बक्सवाहा जंगल में मानव सभ्यता के इतिहास काे समेटे दुर्लभ रॉक पेंटिंग मिली है। ये 25 से 30 हजार वर्ष पुराना है। एनजीटी और हाईकोर्ट के निर्देश पर आर्कियोलॉजी विभाग ने इस रॉक पेंटिंग का सर्वे करने के बाद विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। ये रॉक पेंटिंग पाषण युग और मानव इतिहास के पूर्व काल के हैं। इस क्षेत्र के गांवों में चंदेल और कल्चुरी काल की मूर्तियां भी मिली हैं। इस क्षेत्र को संरक्षित कर पर्यटन के बड़े केंद्र के तौर पर विकसित करने की मांग उठने लगी है।
हाईकोर्ट व एनजीटी में जनहित याचिका लगाने वाले डॉक्टर पीजी नाजपांडे के मुताबिक अभी तक बक्सवाहा की पहचान अपने गर्भभंडार में हीरा होने के चलते थी, लेकिन अब उसकी नई पहचान मानव सभ्यता के इतिहास को प्रदर्शित करने वाली रॉक पेंटिंग बन सकती है। आर्कियोलॉजी विभाग ने अपनी रिपोर्ट एनजीटी के अलावा हाईकोर्ट में भी पेश करने की तैयारी में है।
10 से 12 जुलाई के बीच हुआ सर्वे
आर्कियोलॉजी विभाग अधीक्षण पुरातत्विद डॉक्टर सुजीत नयन की अगुवाई में यह सर्वे 10 जुलाई से 12 जुलाई के बीच किया गया। टीम में सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद पुरातत्व संग्रहालय खजुराहो कमलकांत वर्मा, ड्राफ्टमैन सुरेंद्र सिंह विष्ट और शिवम दुबे शामिल थे। आर्कियोलॉजी विभाग ने बक्सवाहा जंगल में सर्वे कर पाया कि यहां पर तीन बड़ी रॉक पेंटिंग और मुर्तियां हैं। सर्वे में पुरातात्विक महत्व के स्थान मिले, जो इस क्षेत्र में लंबे समय से हुए मानव रहवास की सांस्कृतिक क्रम को दर्शाती हैं।
एनजीटी और हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका के क्रम में हुआ सर्वे
आर्कियोलॉजी विभाग जबलपुर सर्कल ने बक्सवाहा में यह सर्वे डॉक्टर पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव द्वारा एनजीटी और हाईकोर्ट में दायर याचिका के सिलसिले में किया। आर्कियोलॉजी विभाग की ओर से 23 जुलाई को अपनी रिपोर्ट मामले में अधिवक्ता प्रभात यादव को भेजा है। सर्वे के मुताबिक मानव इतिहास की पूर्व की चीजें (प्री हिस्टोरिक पीरियड ) इस क्षेत्र के ढीमर कुंआ के जंगल में मिली है। यहां तीन स्थानों पर प्री हिस्टोरिक पीरियड की रॉक पेंटिंग पाई गई। रॉक पेंटिंग के बारे में बताया गया है। पेंटिंग में युद्ध से लेकर एक्सरे पेंटिंग तक शामिल है। पर संरक्षण न होने के चलते इस दुर्लभ इतिहास के असतित्व पर संकट मंडरा रहा है।
सर्वे टीम ने तीन श्रेणी में रॉक पेंटिंग को क्रमबद्ध किया है
- पहली रॉक पेंटिंग अस्पष्ट है, वह लाल रंग से बनाई गई है। यह आग की खोज से पहले की राॅक पेंटिंग है।
- दूसरी रॉक पेंटिंग मानव इतिहास समय की है, यह लाल रंग से बनी है, इसमें युद्ध के चित्र उकेरे गए हैं।
- तीसरी जगह में कुछ रॉक पेंटिंग पाषाण युग के मध्यकाल की है। यह लाल रंग और चारकोल से बनी है। मतलब तब आग की खोज हो चुकी थी।
चंदेल और कल्चुरी काल का भी इतिहास बिखरा मिला
- सर्वे में रॉक पेंटिंग के अलावा कुसमार गांव में सती पाषण मूर्ति मिली है।
- उसी गांव के खेरमाता प्लेटफार्म में बहुत संख्या में मूर्तिया मिली है, जो चंदेल और कल्चुरी काल की हैं।
- यहां पर गणेश मुर्ति, गधा पाषण, हनुमान मूर्ति मिली है। इसी के बगल में सतीपाषण और खम्बा मिला है।
आग की खोज से पहले की हैं रॉक पेंटिंग
यहां एक्सरे स्टाइल में रॉक पेंटिंग मिली है। यह हजारों साल पुरानी बताई जा रही है। यहां मिले रॉक पेंटिंग में शिकार करने के तौर तरीकों और उस दौर में इस्तेमाल किए जाने वाले औजारों को उकेरा गया है। कई जानवरों के पैरों के चित्र बने हैं। वर्ष 2016 में महाराजा छत्रसाल डिग्री कॉलेज के प्रवक्ता एवं पुरातत्विद एसके छारी ने शोध पत्र प्रकाशित किया था। इसमें बताया गया कि यहां लाल रंग का उपयोग किया गया है। मतलब जब आग की भी खोज नहीं हुई थी, तब के ये रॉक पेंटिंग है। भोपाल के भीमबेटिका के हजार वर्ष पुराने शैल चित्रों और बिजावर के जटाशंकर मार्ग के रॉक पेंटिंग से यह काफी पुराना है।
नागरिक उपभोक्ता मंच ने लगाई है एनजीटी और हाईकोर्ट में याचिका
नागरिक उपभोक्ता मंच की ओर से डॉ. पीजी नाजपांडे द्वारा मामले में एनजीटी और हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई है। इस याचिका में दावा किया गया था कि बक्सवाहा जंगल में पाई गई रॉक पेंटिंग 25 हजार वर्ष पुरानी है। उसे देश की सांस्कृतिक विरासत बताते हुए संरक्षित और सुरक्षित रखने की मांग की थी। इसी के बाद आर्कियोलॉजी से बक्सवाहा का सर्वे कर स्टेटस रिपोर्ट सौंपने के आदेश जारी हुए थे। इस जंगल में 15 गांव आदिवासियों के हैं, जो जंगल पर निर्भर हैं।
बक्सवाहा जंगल में 364 हेक्टेयर में होनी है हीरे की खुदाई
दरअसल बक्सवाहा जंगल में हीरे का भंडार मिला है। राज्य सरकार ने इसका ठेका भी दे दिया है। इस क्षेत्र में लगभग 364 हेक्टेयर भूमि में प्रस्तावित डायमंड माईनिंग की खुदाई होनी है। इसके लिए 2.15 लाख पेड़ काटे जाने हैं। इसका स्थानीय स्तर पर विरोध हो रहा है। इस खुदाई से रॉक पेंटिंग के असतित्व पर संकट मंडरा रहा है। याची की ओर से पूर्व में पुरातत्व विभाग के साथ-साथ आर्कियोलॉजिकल विभाग को सूचना दी गई थी। दोनों विभागों की ओर से कार्रवाई नहीं होने पर प्रकरण को एनजीटी और हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।