Tuesday, September 23

12 जुलाई को प्रतीकात्मक रूप से निकलेगी जगन्नाथ रथ यात्रा:सेठ मानकचंद ने 188 साल पहले मानोरा में शुरू की थी रथयात्रा की परंपरा, 50 साल पहले दिघौरा के किरार परिवार ने पहली बार बनवाया था 2 मंजिला भव्य रथ

लगातार दूसरे साल मानोरा में भगवान जगन्नाथ की सुप्रसिद्ध रथ यात्रा आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया 12 जुलाई को सिर्फ प्रतीकात्मक रूप से ही निकाली जाएगी । सुबह 4 बजे मंदिर के पट खुलेंगे। 5 बजे मंगला आरती होगी। सुबह 7 बजे रथ में भगवान जगन्नाथ सवार होंगे।

मुख्य मार्ग के होते हुए भगवान का रथ सुबह 9 बजे मानोरा के चौक पर पहुंचेगा। यहां श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकेंगे। शाम को भगवान रथ में सवार होकर जनकपुर पहुंचेंगे। यहां हनुमान मंदिर में रात्रि विश्राम करेंगे। दूसरे दिन वापस अपने मंदिर के लिए प्रस्थान करेंगे। रथ यात्रा के दौरान भीड़ की अनुमति नहीं रहेगी। रथ यात्रा सिर्फ मंदिर से निकलकर मुख्य चौक तक आएगी। यहीं से भक्तों को भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भैया बलभद्र के दर्शन होंगे लेकिन मानोरा में दुकानें नहीं लगेंगी। लोग खरीददारी नहीं कर सकेंगे और आयोजन समिति द्वारा मेला भी नहीं लगाया जाएगा। प्रशासन द्वारा मेले को अनुमति नहीं दी जा रही है। लगातार दूसरे साल कोरोना के चलते भीड़ बढ़ाने की अनुमति नहीं रहेगी ।

18 फीट ऊंचा, 15 फीट लंबा और 8 फीट चौड़ा है भगवान का रथ
मानौरा में भगवान जगन्नाथ का रथ 2 मंजिला है। इसे करीब 50 साल पहले दिघौरा गांव के किरार परिवार ने श्रद्धापूर्वक तैयार करवाया था। उससे पहले बैलगाड़ी में सवार होकर भगवान जगन्नाथ भ्रमण के लिए निकलते थे। 10 साल पहले इस 50 साल पुराने रथ का रेनोवेशन करवाया गया था। वर्तमान रथ 18 फीट ऊंचा, 15 फीट लंबा और 8 फीट चौड़ा है। 12 जुलाई को इस रथ को फूलों से सजाया जाएगा। मंदिर में भी आकर्षक सजावट होगी। आयोजन समिति ने फूलों के आर्डर दे दिए हैं।

188 साल पुरानी है भगवान की स्वयंभू प्रतिमा: मानोरा में भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भैया बलभद्र की चंदन की प्रतिमाएं 188 साल पुरानी हैं। ये प्रतिमाएं स्वयंभू हैं। ये यहां स्वयं प्रकट हुई थीं। 12 जुलाई को रथयात्रा का भी यह 188वां साल है। इससे पहले 187 साल तक लगातार यहां रथयात्रा निकलने की परंपरा रही है।

प्रशासन ने अभी तक नहीं दी मेला लगाने की अनुमति
कलेक्टर डा.पंकज जैन का कहना है कि वे जल्द ही मानोरा का दौरा तैयारियों को अंतिम रूप देंगे। ग्यारसपुर एसडीएम ब्रजेंद्र रावत का कहना है कि मेले को अनुमति नहीं दी जाएगी। एक-दो दिन में आयोजन समिति के साथ बैठक करके मेले को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

ओडिशा की पदयात्रा करने पर सेठ मानकचंद को भगवान ने दिए थे दर्शन
मानौरा मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष भगवान सिंह रघुवंशी बताते हैं कि मानोरा के जमींदार रहे सेठ मानकचंद रघुवंशी के कोई संतान नहीं थी। उन्होंने 188 साल पहले धर्मपत्नी पदमावती के साथ पैदल उड़ीसा जाकर जगन्नाथ के दर्शन करने का निश्चय किया था। वे पदयात्रा करते हुए जगन्नाथपुरी के लिए निकल गए थे। उनकी कठिन भक्ति देखकर भगवान जगन्नाथ ने रास्ते में उन्हें दर्शन दिए। इस पर भगवान ने सेठ को रास्ते से ही वापस लौटाते हुए कहा कि तुम अपने गांव में ही मंदिर बनवाकर मेरी प्रतिमाओं की स्थापना करो। मैं साक्षात उन प्रतिमाओं के रूप में विराजमान रहूंगा। तभी से यहां की प्रतिमाएं स्वयंभू प्रकट हुई थीं।