Tuesday, September 23

कांग्रेस को नई टीम का इंतजार

भोपाल। प्रदेश में सत्ता की हैट्रिक के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा उत्साह से लबरेज है, तो कांग्रेस अभी तक विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार के साये से उबर नहीं सकी है। आलम यह है कि भाजपा ने नए साल के पहले महीने में ही प्रत्याशियों के पैनल तय करने का मन बना लिया है, जबकि कांग्रेस में अभी यही तय नहीं हो पाया है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश अध्यक्ष की कमान किसके पास होगी। वैसे भी आठ जनवरी को विधानसभा सत्र शुरू होना है, लेकिन उसमें नेता प्रतिपक्ष और विस उपाध्यक्ष को लेकर भी अभी तक कोई सुगबुगहाट नहीं है। राज्य की 29 लोकसभा सीटों में से इस समय भाजपा के 16 सांसद हैं और कांग्रेस के पास 12 सीटें थीं, लेकिन होशंगाबाद के सांसद राव उदयप्रताप के भाजपा में शामिल होने के बाद अब उसके महज 11 सांसद ही रह गए हैं। राज्य की एक सीट बसपा के पास है। लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए इस लिहाज से भी चुनौतीपूर्ण हैं कि विधानसभा चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। कांग्रेस के अंदरखाने की माने तो पीसीसी चीफ कांतिलाल भूरिया ने भले ही पराजय की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन दरअसल, उन्हें अपने लोकसभा क्षेत्र झाबुआ-रतलाम की ज्यादा चिंता है। वहीं नए पीसीसी चीफ के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी चर्चा में रहा, किंतु उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र शिवपुरी से चुनाव लडऩा है, जबकि केंद्रीय मंत्री कमलनाथ को अपने छिंदवाड़ा गढ़ एक बार फिर देखना है। फिलहाल वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को लेकर यह तय नहीं हो पा रहा है कि वे कहां से लोस चुनाव लड़ेंगे। श्री सिंह खुद कह चुके हैं कि पार्टी जहां से लड़ाना चाहेगी, वे तैयार हैं। इधर अरूण यादव को खंडवा से फिर चुनाव लडऩा है, मीनाक्षी नटराजन मंदसौर से तैयारी कर रही हैं।
सज्जन सिंह वर्मा देवास और प्रेमचंद गुड्डू को अपने क्षेत्र उज्जैन की चिंता है। इंदौर सीट कांग्रेस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रही है, लेकिन महिला कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अर्चना जायसवाल ने फिलहाल अपनी दावेदारी यहां से ठोक दी है।