Tuesday, September 23

आपदा के बीच बिजली उपभोक्ताओं को झटका:नए कनेक्शन, नाम परिवर्तन, भार बढ़ाने, मीटर जांच सहित कई सेवाओं के शुल्क और सर्विस चार्ज में 70% तक वृद्धि की तैयारी


कोरोना महामारी की दूसरी लहर की आपदा के बीच प्रदेश के बदहाल बिजली उपभोक्ताओं, दुकानदारों, उद्योग जगत को मप्र विद्युत नियामक आयोग ने एक जोरदार झटका दिया है। 12 वर्ष बाद आयोग द्वारा सभी श्रेणी के बिजली उपभोक्ताओं के लिए नए कनेक्शन लेने और वर्तमान भार में वृद्धि करने सहित विभिन्न सेवाएं के लिए लगने वाले शुल्क में 67 से 70 प्रतिशत वृद्धि प्रस्तावित की है।

प्रदेश में लगभग 1.59 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं। इसमें एक करोड़ घरेलू उपभोक्ता सस्ती (100 यूनिट पर 100 रुपए) बिजली योजना का लाभ पा रहे हैं। इसमें 28 लाख के लगभग कृषि उपभोक्ता हैं। शेष व्यवसायिक और औद्योगिक उपभोक्ता हैं। बड़ी सख्या में उपभोक्ता बिजली बिल का भुगतान चेक के माध्यम से भी करते हैं। अब चेक बाउंस हुआ तो घरेलू उपभोक्ताओं को 250 रुपए और व्यवसायिक उपभोक्ताओं को 1600 रुपए के लगभग देने होंगे।

12 साल बाद नियामक आयोग ने शुल्क बढ़ाने का ड्राफ्ट बनाया
इसी तरह मीटर की जांच करानी हो, या कनेक्शन में नाम परिर्वतन कराना हो, भार बढ़ाने से लेकर सभी तरह के शुल्क और सर्विस चार्ज में बढ़ोत्तरी की तैयारी है। मप्र ऊर्जा नियाम आयोग ने इस तरह का प्रस्ताव तैयार किया है। शुल्कों में यह संशोधन 12 साल बाद होने जा रहा है। आयोग ने इसका ड्राफ्ट जारी कर दिया है। उपभोक्ताओं से सुझाव, दावे और आपत्तियों पर सुनवाई के बाद सर्विस चार्ज में संशोधन लागू किए जाएंगे।

बिजली सेवाओं से जुड़े सर्विस चार्ज में चोरी से वृद्धि की तैयारी
आयोग ने प्रदेश के हिंदी अखबारों में अंग्रेजी में आम सूचना प्रकाशित कर उपभोक्ताओं से पांच जुलाई 2021 तक आपत्ति/ सुझाव मांगे हैं। इस पर जनसुनवाई की औपचारिकता 6 जुलाई को पूरी की जाएगी। अधिवक्ता राजेंद्र अग्रवाल के मुताबिक आयोग द्वारा अंग्रेजी में अधूरी आम सूचना प्रकाशित करवाना विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 45(2) ख का पूर्णत: उल्लंघन है। इस अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी प्रकार की दरों और मूल्य में परिवर्तन की पर्याप्त और संतोषजनक जानकारी प्रकाशित की जाएगी, जिसे कि आम उपभोक्ता समझकर आपत्ति/ सुझाव पेश कर सकें।

इस तरह की सामने आई प्रतिक्रिया-

बिजली प्रदाय सुविधाओं के नाम पर प्रस्तावित बढ़ोत्तरी उद्योगों के लिए बड़ा झटका होगा। कोरोना के कारण पहले से छोटे उद्योग वर्किंग कैपिटल की समस्या से जूझ रहे हैं। आयोग ने आधा-अधूरा प्रकाशन कराया है। अंग्रेजी में प्रकाश कराना ही नियमों के विपरीत है। शुल्क बढ़ोत्तरी का कोई कारण नहीं बताया गया है। पिछले कोरोना काल में भी फिक्स चार्ज वसूला गया। इस बार भी कोई राहत नहीं दी गई। पहली आपत्ति तो ये कराएंगे कि इसका फिर से विधिवत प्रकाशन हिन्दी में कराया जाए।

दिल्ली, महाराष्ट्र व गुजरात सरकार ने कोविड होटल, रेस्टोरेंट आदि के लिए फिक्स चार्ज को माफ कर दिया है। एमपी सरकार से भी पिछले 6 माह के लिए फिक्स चार्ज में छूट देने की मांग की है। दुकान, होटल, रेस्टोरेंट बंद हैं, ऐसे में नियामक आयोग की ये वृद्धि जनता की आंख में मिर्ची डालकर लूटने वाली है।

प्रेम दुबे, चेयरमैन, जबलपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्रीज

आयोग ने जो दरें प्रस्तावित की हैं, वह बहुत ज्यादा है। शुल्क धीरे-धीरे बढ़ाए जाने की जरूरत है। दावे-आपत्ति के लिए अंग्रेजी में आम सूचना जारी की है। यह विद्युत अधिनियम की धारा 45 (2)(ख) का उल्लंधन है। इसमें दरों की जानकारी और कारण तक नहीं दी गई है।

राजेंद्र अग्रवाल, पूर्व मुख्य अभियंता जेनको मप्र

सरकारी रिकॉर्ड सीआरएस के अनुसार वर्ष 2021 के बीते पांच माह में पिछले वर्ष की तुलना में 1.9 लाख से अधिक मौतें हुई हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों को अन्य रिकॉर्ड के साथ बिजली मामले में भी कई तरह के परिवर्तन कराने होंगे। इस आपदा की घड़ी में मप्र विद्युत नियाम आयोग ने बिजली कनेक्शन में नाम परिवर्तन शुल्क में लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि प्रस्तावित की है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। क्या यही आपदा में अवसर है।

डॉ. पीजी नाजपांडे, नागरिक उपभोक्ता मंच

नियामक आयोग ने दो अखबारों में हिन्दी व अंग्रेजी में प्रकाशन कराया है। नियम के अनुसार ही प्रकाशन कराया गया है। किसी को इस पर दावा-आपत्ति हो तो आयोग को पांच जुलाई तक भेज सकता है। जनसुनवाई में इसे सुना जाएगा। 12 साल बाद ये बढ़ोत्तरी की जा रही है। इस कारण बढ़ोत्तरी शुल्क अधिक प्रतीत हो रही है।

शैलेंद्र सक्सेना, सचिव, मप्र राज्य विद्युत नियामक आयोग