Tuesday, September 23

बिजली कंपनियों का कारनामा, जांच कराये जाने की मांग 1400 करोड़ का घोटाला

जबलपुर। कोयला बिजली उत्पादन में 14 सौ करोड़ रूपए अतिरिक्त भुगतान किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। यह कारनामा उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने आरोप लगाते हुए इसकी जांच कराए जाने की मांग की है।
नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन तथा छग में 640 ग्राम कोयले में एक यूनिट बिजली उत्पादन, लेकिन मध्यप्रदेश में एक यूनिट में 780 से 800 ग्राम कोयला जलाया जा रहा है। विजेंद्र नानावटी एमडी पॉवर जनरेटिंग कंपनी के अनुसार संजय गांधी तापगृह में 55 सौ केलोरिफिक वेल्यू ऊष्मा का कोयला का इस्तेमाल हो रहा है, इससे सवा दो यूनिट बिजली बनना चाहिए, जबकि वर्तमान में सवा यूनिट बिजली का उत्पादन का हो रहा है, जो कि कम केलोरिफिक वेल्यू के कोयले से होता है। इस मामले की जांच नियामक आयोग करे, यह शिकायत उपभोक्ता मंच ने सितंबर 2012 में की थी, मंच के अनुसार फ्यूल कॉस्ट समायोजन के नाम पर कोयले का खर्च उपभोक्ता से वसूलने के पूर्व में सभी तथ्यों की जानकारी लेकर आयोग को अपनी अनुमति देना चाहिए।
दो वर्ष में 14 करोड़ अतिरिक्त खर्च:- नागारिक उपभोक्ता मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे ने आरोप लगाया है कि 1 जनवरी 2014 से बिजली को 29 पैसे करने की नियामक आयोग की अनुमति पर आपत्ति लगाते हुए कहा कि गुणवत्ता वाले 5500 केलोरिफिक वेल्यू के कोयले की कीमत 1450 प्रति टन तथा कम गुणवत्ता वाले 4 हजार केलोरिफिक वेल्यू के कोयले की कीमत 640 प्रति टन है। पिछले दो वर्षों में संजय गांधी तापगृह में 130 लाख टन कोयला कोल कंपनी से खरीदा गया, जिसका भुगतान 55 सौ केलोरिफिक वेल्यू के आधार पर किया गया। इस पूरी गड़बड़ी का अतिरिक्त खर्च हुआ, इसका बोझ उपभोक्ताओं पर डाला जा रहा है।
जनसुनवाई में शिकायत, फिर भी चुप्पी:-डॉ पीजी नाजपांडे ने बताया कि पुन: 2 मार्च 2013 को जबलपुर में आयोग के समक्ष हुई जनसुनवाई में बताया कि केलोरिफिक वेल्यू के कोयले में गड़बड़ी के कारण प्रदेश में 27 प्रतिशत बिजली उत्पादन घटा, फिर भी वेल्यू कॉस्ट समायोजन के नाम पर उपभोक्ताओं से वसूली हो रही हे। सनुवाई के दौरान आयोग के अध्यक्ष राकेश साहनी ने अधिकारियों को ठोस निर्देश नहीं दिए तथा मामले पर चुप्पी साधे रहे।
इन्होंने की जांच की मांग:- उपभोक्ता मंच के एड.देव प्रकाश अधोलिया, मनीष शर्मा, नीरज पहारिया, प्रशांत दलवी, एड. श्याम वर्मा, राकेश चक्रवर्ती, अर्जुन परिहार, रानी जायसवाल, हनुमान प्रसाद, मनजीत कौर डोगरा आदि क ेअनुसार चूंकि आयोग इस घोटाले की जांच नहीं कर रहा है। मंच ने इस पूरे मामल की सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग की है।